enewsmp.com
Home मध्य प्रदेश तकनीकी समूह की बैठक में केसीसी की लिमिट का निर्धारण...

तकनीकी समूह की बैठक में केसीसी की लिमिट का निर्धारण...

विदिशा(ईन्यूज एमपी)- जिले में परम्परागत तरीकों से ली जाने वाली मुख्य फसलों की प्रति हेक्टेयर उत्पादन लागत एवं प्रति हेक्टेयर नगद राशि तथा वस्तु ऋण के ऋणमान का निर्धारण आज तकनीकी समूह की बैठक में किया गया है।
कलेक्टर अनिल सुचारी की अध्यक्षता में व्हीसी कक्ष में सम्पन्न हुई इस बैठक में कॉ-आपरेटिव बैंक के अध्यक्ष श्यामसुन्दर शर्मा के अलावा बैंकर्स प्रतिनिधि तथा किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग के उप संचालक, पशु चिकित्सा के उप संचालक, उद्यानिकी तथा मत्स्यपालन विभाग के सहायक संचालक मौजूद थे।
बैठक में मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन ऋणों के लिए मानदण्ड एवं शर्तो का तथा अल्पावधि एवं अल्पकालीन ऋण वितरण की तिथियों का निर्धारण किया गया है।
कलेक्टर ने कहा कि किसानों को जारी होने वाली केसीसी में एकरूपता बनी रहे। एक से अधिक बैंकों से किसानों को केसीसी जारी ना हो इसके लिए कॉ-आपरेटिव बैंक और राष्ट्रीयकृत बैंक आपस में डाटा शेयर करें। इसके अलावा आधार कार्ड का भी उल्लेख केसीसी के साक्ष्यों में अंकित की जाए। बैठक में कृषि विभाग से प्राप्त आंकडो पर खरीफ फसल धान, सोयाबीन, ज्वार, उन्नत एवं संकर, मक्का, मूंगफली, मूंग, उडद, अरहर का तथा रबी फसल गेहूं सिंचित, असिंचित चना, मसूर सिंचित, असिचिंत, मटर सिंचित, असिंचित, गन्ना सिचिंत, अलसी, सरसो, फसलों के औषध उत्पादन प्रति हेक्टेयर कि्ंवटल में, माल की कीमत, उत्पादन की कीमत तथा उत्पादन लागत प्रति हेक्टेयर अनुसार राशि का निर्धारण किया गया है।

इसी प्रकार उद्यानिकी फसलों एवं औषधी फसलों के दरों का भी प्रति हेक्टेयर अनुसार निर्धारण किया गया है। गतवर्ष में सब्जी फसलों के ऋणमान को इस वर्ष यथावत रखा गया है जिसमें प्रति हेक्टेयर अदायगी क्षमता एवं अल्पकालीन ऋण भी शामिल है।

तकनीकी समूह के द्वारा मत्स्य पालन के लिए फिशरमेन क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत अल्प अवधि ऋण वितरण के मुद्दो पर भी विचार विमर्श किया गया जिसमें प्रति हेक्टेयर के मान अनुसार ग्रामीण तालाबों में एवं सिंचाइ जलाश्य मत्स्य पालन हेतु क्रमशः 18-18 माह के लिए इकाई लागत का निर्धारण किया गया है इसी प्रकार मौसमी तालाबों में स्पानसंवर्धन कर मत्स्य बीज उत्पादन की छह माह हेतु इकाई लागत दर का भी अनुमोदन किया गया है। व्यवसायिक योजना उद्वेश्य के तहत मुर्गी, बकरी, भेंड, सूअर पालन की इकाई लागत तथा तालाब निर्माण एवं मत्स्यपालन प्रति हेक्टेयर इकाई लागत का अनुमोदन समिति द्वारा किया गया है।

बैठक में पावर थ्रेसर, लघु सिंचाई योजना, जनरेटर हेतु, भूमि विकास, उपज की लागत, पानी के स्त्रोत, अद्योसंरचना इत्यादि पर भी विचार विमर्श किया गया है इसके अलावा योजनाओं का लाभ लेने हेतु खासकर व्यवसायिक उद्यानिकी फसलों की संरक्षित खेती को प्रोत्साहन देने के लिए ग्रीन हाउस, पॉली हाउस योजना पर भी विचार विमर्श किया गया जिसमें मुख्य रूप से कृषि को लाभकारी स्वरूप प्रदान करना। आर्थिक सहायता मुहैया कराना, हितग्राही की अर्हताए, दस्तावेंजो का विवरण, ब्याज दर, ऋण भुगतान तथा ऋण की वापसी इन बिन्दुओं पर भी विचार विमर्श किया गया।

जिले में डेयरी व्यवसाय को बढावा देने के लिए तकनीकी समूह के द्वारा दस गाय, भैंस के लिए निर्धारित अधिकतम इकाई लागत का भी अनुमोदन किया गया है जिसमें ट्रांसपोर्ट चार्ज, इंश्योरेंस चार्ज, शेड लागत, डेयरी उपकरण लागत, चारा एवं दाना प्रत्येक माह के मान से तथा पशु बाजार टैक्स प्रति पशु की दर से लागत का निर्धारण किया गया है। इसके अलावा बायोगैस संयंत्र, घन मीटर क्षमता के आधार पर ऋण की स्वीकृति, दीर्घकालीन योजना के अंतर्गत ट्रेक्टर एवं हार्वेस्टर के लिए अधिकतम इकाई लागत, जिसमें बीमा राशि शामिल नही है का अनुमोदन किया गया है।उक्त बैठक में कॉ-आपरेटिव बैंक के सीईओ विनय प्रकाश सिंह, लीड़ बैंक आफीसर विजय गुप्ता, नाबार्ड बैंक सहित अन्य बैंको के प्रतिनिधि मौजूद थे

Share:

Leave a Comment