अशोकनगर(ईन्आयूज एमपी): आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज की परम शिष्या आर्यिका रत्न अनंतमति माताजी ससंघ के सान्निध्य में आर्यिका श्री प्रभावनामति माताजी के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना के साथ श्री शान्ति विधान का आयोजन सुभाष गंज जैन मंदिर में किया गया।इसके पहले भगवान के अभिषेक के साथ जगत कल्याण की भावना को लेकर महा शान्ति धारा आर्यिका के श्री मुख से वीज मंत्रो के उच्चारण के साथ प्रभु की भक्ति भाव से पूजा अर्चना युवा वर्ग के सरंक्षण शैलेंद्र श्रंगार के मधुर स्वर में की गई। इस अवसर पर आर्यिका रत्न अनंतमति माता जी ने कहा कि हमें पुरूषार्थ मे पीछे नहीं रहना चाहिए पुरूषार्थ से कठिन से कठिन कार्य भी सरलता से होते चले जाते हैं पुरूषार्थ एक क्षेत्र विशेष में काम करता हो ऐसा नहीं है ये तो सभी जगह काम करता है उन्होंने इसके पहले विधाधर की माँ के दारा दिये गये संस्कारों को सुनाते हुए कहा कि जब विद्याधर र्गभ में आये तो माँ श्रीमतिजी भगवान के चित्र के निकट घृत का दीप जलाये रखती थी।वहीं संस्कार बालक विद्याधर पर भी पङे और उन्होंने भी वङे हो र अखंड दीप अठारह वर्षो की उम्र तक घर में रहते हुए जलाये रखा।और फिर दीक्षा लेने के बाद ज्ञान की ज्योति से समूची दुनिया को प्रकाशित कर रहे हैं। शान्ति विधान कराते हुए आर्यिका श्री निर्मलमति माताजी ने कहा कि इस विधान के प्रथम चरण में श्री अरिहंत परमेष्ठी के साथ सिद्धोकी आराधना की गई है, वहीं आचार्य परमेष्ठी उपाध्याय के साथ साधु परमेष्ठी का भी स्तुति गान किया गया है ।वही द्वितीय वलय पूजा में सोलह कारण भावनाओ का स्मरण किया गया है जो तीर्थंकर प्रकृति का बन्ध होता है।