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03 दिन की छुट्टी लेकर गए डॉक्टर, 08 साल बाद भी नहीं लौटे.....

श्योपुर ( ईन्यूज एमपी ) - डॉ. रुकमेन्द्र प्रताप सिंह बरखेड़े को 29 अप्रैल 2010 को जिला अस्पताल में पदस्थ किया गया था। डॉ. बरखेड़े अस्पताल में 04 घंटे तक रहे और उसी दिन 03 दिन का अवकाश लेकर चले गए। तीन दिन का अवकाश परिवार व गृहस्थी के सामान को श्योपुर शिफ्ट करने के लिए लिया था। 08 साल होने को हैं, लेकिन डॉ. रुकमेन्द्र प्रताप अब तक लौटकर नहीं आए, नहीं कभी अस्पताल प्रबंधन को सूचना दी कि, वह क्यों गायब है और कब तक आएंगे? ऐसे अकेले डॉ. रुकमेन्द्र प्रताप सिंह नहीं है बल्कि, जिला अस्पताल से पूरे 08 डॉक्टर इसी तरह तीन से पांच दिन की छुट्टी लेकर गए और सालों बाद नहीं लौटे।
इस लिस्ट में श्योपुर में सीएमएचओ बने डॉ. एनसी गुप्ता का नाम भी शामिल है। डॉ. एनसी गुप्ता को अप्रैल 2015 में जिला अस्पताल में सर्जन स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनाया था, लेकिन वह 05 छुट्टी लेकर ऐसे गए कि, 18 महीने तक पटलकर नहीं देखा। 07 अक्टूबर को उन्हें सीएमएचओ बनाया गया तो, तत्काल आकर जिले के सबसे बड़े स्वास्थ्य अफसर की कुर्सी पर बैठ गए। छुट्टी लेकर गायब चल रहे आठ डॉक्टरों को वेतन नहीं दिया जा रहा। लेकिन इन डॉक्टरों के कारण श्योपुर को नए डॉक्टर भी नहीं मिल पा रहै। सालों से गायब यह डॉक्टर रिकार्ड में श्योपुर में पदस्थ है इसलिए इनकी जगह नए डॉक्टर नहीं आ रहे। डॉक्टरों की इस मनमानी का असर सबसे ज्यादा जिले की स्वास्थ्य सेवाओं और मरीजों पर पड़ रहा है।

इन लापता डॉक्टरों को श्योपुर में गिन रहा स्वास्थ्य विभाग
आपको जानकार हैरानी होगी कि, सालों से लापता यह डॉक्टर महानगरों के निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं लेकिन, स्वास्थ्य विभाग इन डॉक्टरों की गिनती श्योपुर में करता है। तभी तो चार महीने पहले श्योपुर दौरे पर आए स्वास्थ्य मंत्री रुस्तम सिंह से जब डॉक्टरों की कमी व बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कह दिया कि, प्रदेश के सभी जिलों से ज्यादा डॉक्टर श्योपुर में तैनात हैं। स्वास्थ्य मंत्री सालों से छुट्टी पर चल रहे इन डॉक्टरों को भी श्योपुर में बता रहे हैं जो, मुंहमांगे दामों पर ग्वालियर, दिल्ली, रायपुर, इंदौर के निजी अस्पतालों में सेवाएं दे रहे हैं।

कौन डॉक्टर कब से गायब
-डॉ. शैलेन्द्र सिंह सोलंकी ने 03 अगस्त 2010 को जिला अस्पताल में ज्वाइनिंग ली। उसी दिन शाम को 05 दिन की छुट्टी लेकर चले गए लेकिन, साढ़े सात साल बाद भी नहीं लौटै हैं।
-डॉ. पूनम चिरगैया को 01 जुलाई 2011 को बतौर महिला रोग स्पेशलिस्ट जिला अस्पताल में पोस्टेड किया गया। दो दिन तक जिला अस्पताल में सेवाएं देन के बाद डॉ. चिरगैंया पांच दिन की छुट्टी लेकर गईं। पांच साल बाद भी जिला अस्पताल प्रबंधन को उनका पता नहीं कि डॉ. चिरगैया कहां है।
-आखों के स्पेशलिस्ट डॉ. अमित यादव ने 25 अगस्त 2011 को जिला अस्पताल में ज्वाइनिंग दी थी। दो दिन बाद डॉ. यादव छुट्टी लेकर चले गए। छह साल से ज्यादा हो गए, लेकिन यह डॉ. यादव लौटकर नहीं आए।
-डॉ. गिरिजाशंकर गुप्ता और उनकी पत्नी डॉ. संगीता गुप्ता को 10 जून 2011 में जिला अस्पताल में ज्वाइनिंग दी गई। उसी दिन यह डॉक्टर दम्पत्ति तीन दिन का अवकाश लेकर गए, लेकिन छह साल बाद इनमें से एक भी लौटकर नहीं आया।
-डॉ. देवेन्द्र प्रजापति 28 अगस्त 2013 को जिला अस्पताल में ट्रांसफर होकर आए। इसी दिन ज्वाइन किया और 05 दिन की छुट्टी लेकर चले गए। चार साल बाद भी नहीं लौटे हैं।
-डॉ. संजीव गुप्ता 22 अगस्त 2015 को जिला अस्पताल में ज्वाइन किए गए। इसी दिन अवकाश लेकर गए और अब तक अनुपस्थित हैं।

शहरों के अस्पतालों में दे रहे सेवाएं
जिला अस्पताल से गायब हुए डॉक्टर किसी अनहोनी या दुर्घटना का शिकार नहीं हुए है। बल्कि अधिकांश डॉक्टर बड़े-बड़े शहरों के निजी अस्पतालों में काम कर रहे हैं। कुछ डॉक्टर तो महानगरों में खुद का क्लीनिक चला रहे हैं। डॉ. गिरिजाशंकर गुप्ता और उनकी पत्नी संगीता गुप्ता दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में लाखों रुपए महीने की सैलरी पर काम कर रहे हैं। डॉ. अमित यादव चेन्नई के बहुत बड़े अस्ताल में आंखों के डाक्टर की नौकरी कर रहे हैं। डॉ. पूनम चिनगैया भी दिल्ली में निजी अस्पताल में सेवाएं दे रही हैं।

वर्जन
-ऐसे मामले कुछ और जिलों से भी आए हैं। यह स्थिति बेहद चिंताजनक है कि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर छुट्टी के बहाने ऐसे गायब हो जाते हैं। हम ऐसे डॉक्टरों का पता लगाएंगे कि कहां कितने हैं। यदि कोई डॉक्टर छुट्टी लेकर प्राइवेट अस्पतालों में काम कर रहे हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
रुस्तम सिंह, स्वास्थ्य मंत्री, मप्र

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