झाबुआ(ईन्यूज एमपी)- जिले के मेघनगर में पिछले दिनों 84 लाख रुपए के मामले की गूंज भोपाल व दिल्ली के गलियारों में भी गूंजी थी वही मामला अब फिर से सुर्खियों में बताया जा रहा है ! लाखों के गबन करने के बाद भी आरोपियों का निलंबित नहीं होना काफी चर्चा मे है बताने वाले बताते है कि fir दर्ज होने पर अग्रिम जमानत इन सभी आरोपियों द्वारा करा ली गई है । यह है मामला अपराध क्रमांक.89 दिनांक15/5/2011 पुलिस थाना मेघनगर मे धारा 420, 409, 468, 470, &34 का मामला है (मध्य प्रदेश सिविल सेवा वर्गीकरण तथा अपील ) नियम 1966 के नियम 9 (1) के स्पष्ट उल्लेख किया गया है। किसी भी शासकीय कर्मचारी के विरुद्ध भ्रष्टाचार या नैतिक वतन में सरकार द्वारा अभी योजना स्वीकृत के वाद न्यायालय में चालन प्रस्तुत किया नया हो तो उससे तत्काल निलंबित किया जावे नियंत्रण तथा अपील कोई भी आरोपी कर्मचारी को निलंबित नहीं करना भी काफी चर्चा में है। यह है प्रकरण BRC मेघनगर का है फर्जी आवासीय विद्यालय चलाने का मामला है लगभग 84 लाख के गबन का मामला है । इस प्रकरण मे चालान कि अनुमति मिलने के लगभग 04 माह पश्चात कोर्ट मे पेश किया गया। संबंधित विभाग को चालान पेश होने की सुचना पुलिस विभाग द्वारा दिये जाने के बाद भी संबंधित विभाग आदिवासी विकास द्वारा किसी भी शिक्षक को निलंबित नही किया गया जब कि मुख्य आरोपी पी.के.चौहान तात्कालीन डी.पी.सी को राज्य शासन द्वारा निलंबन किया गया है। तो फिर जिले के आला अधिकारी द्वारा आरोपित शिक्षकों पर इतनी मेहरबानी क्यों। जब कि नियमानुसार चालान कोर्ट मे पेश होते ही सभी आरोपियों को निलंबित किया जाना चाहिए था । चालान पेश हुए को भी लगभग 16 माह हो चुके हैं। यह मामला झाबुआ जिले की मेघनगर तहसील का है मामला आदिम जाति कल्याण विभाग का है। उक्त मामले मे शिकायत करता राकेश खमेसरा के द्वारा शिकायत करने पर FIR दर्ज हुई थी शासकीय नियम क्या है यह भी आप भलि भाँति जानते है फिर भी इस मामले में जिला प्रशासन अपनी चुप्पी क्यों साधे है राकेश खेमसरा पुर्व जिलाद्यक्ष विश्व हिन्दू परिषद् झाबुआ ने आरोपियों को तत्काल निलंबित करने की मांग की है !