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बंजर खेतों का कर दिया फसल बीमा, किसान मांग रहे क्लेम.......

श्योपुर ( ईन्यूज एमपी ) - प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के नियम-कायदों में ऐसी विसंगति सामने आई हैं जिसने पहले किसानों को परेशान किया उसके बाद बैंक एवं बीमा कंपनी की फजीहत हुई और अब सरकार को माथापच्ची करनी पड़ रही है। दरअसल बैंकों ने उन किसानों की फसलों का भी बीमा कर दिया जिन किसानों ने खेत में कोई बीज ही नहीं डाला। यानी बंजर खेतों में फसलों का बीमा कर दिया गया। यह विसंगति केवल श्योपुर में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में सामने आई है।
दरअसल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का एक नियम सबके लिए परेशानी बन गया है। वह नियम यह है कि जो किसान फसल के लिए बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) लोन लेगा, उसकी फसल का अपने आप बीमा हो जाएगा। किसान को केसीसी लोन देने वाली बैंक ही केसीसी खाते से फसल बीमा प्रीमियम का पैसा काटकर बीमा कंपनी को जमा करा देगी। इस साल श्योपुर सहित प्रदेश के कई जिलों में भयंकर सूखा है। इसीलिए किसान केसीसी का लोन लेने के बाद खेतों में फसलें नहीं बो पाए, लेकिन बैंकों ने खाली खेतों में फसलें बताकर केसीसी खाते से प्रीमियम का पैसा काटकर फसल बीमा कर दिया।

श्योपुर में 750 से ज्यादा किसान ऐसे
उदाहरण ऐसे समझिए कि कूंडहवेली गांव के रामराज पुत्र पूरणमल मीणा की 70 बीघा और इसी गांव की धानाबाई पत्नी गोपाल मीणा के 11 बीघा खेत हैं। इस साल इनके खेतों में कोई फसल नहीं हुई। दोनों किसानों का बैंक में केसीसी लोन लिया तो बैंकों ने फसल बीमा के प्रीमियम के तौर पर 1800 रुपए से लेकर 08 हजार तक काट लिए। रामराज और धाना वाई की तरह ही श्श्योपुर-बड़ौदा के कूंड, कनापुर, काठौदी, तुलसेफ, लूंड, किशोरपुरा, रामगांवड़ी, पीपल्दी, बगवाड़ा, खिरनी गांव तो विजयपुर में गोहटा, गांवड़ी, काठौन, अर्रोद, बैनीपुरा, इकलौद, दौर्द आदि गांवों के 750 से ज्यादा किसानों के साथ हुआ है। यानी खेत में बिना फसल देखे ही बैंकों ने बंजर खेत में फसल बीमा कर दिया है।

अब किसान मांग रहे बिना फसल के बीमा क्लेम
बिना फसल के बीमा प्रीमियम का पैसा वसूलने से किसानों पर आर्थिक बोझ पड़ा। इसके बाद किसानों ने बैंक व बीमा कंपनी की फजीहत शुरू कर दी। जिन किसानों के खाते से फसल बीमा का पैसा काट लिया गया उनमें से कई किसान अब बीमा क्लेम का दावा ठोक रहे हैं, लेकिन सर्वे करने गांव पहुंच रही टीमें तर्क दे रही हैं कि जब खेत में कोई फसल ही नहीं की तो क्लेम किस बात का दिलाएं। दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि जब फसल नहीं तो बीमा कैसे किया? यह बात कलेक्टर पीएल सोलंकी से लेकर सांसद अनूप मिश्रा तक जा पहुंची, लेकिन किसी के पास कोई समाधान नहीं। अब अफसरों और जनप्रतिनिधियों ने इस उलझन की गेंद को सरकार के पाले में डाल दिया है।

अगर बैंक दोषी हैं तो किसान भी निर्दोष नहीं
इस मामले में जितना दोष बैंकों का या फिर बीमा कंपनी का है उतना ही दोष किसानों का भी कहा जा रहा है। क्योंकि किसानों ने फसल करने के लिए बैंकों से लाखों रुपए का लोन तो ले लिया, लेकिन खेतों में बीज नहीं बोया। हालांकि किसान मौसम और कम बारिश को दोष दे रहे हैं। दूसरी तरफ बैंकों का कहना है कि किसानों ने मौसम की वजह से फसल नहीं की तो उन्हें जानकारी बैंक व बीमा कंपनी को देनी चाहिए थी, लेकिन किसानों ने ऐसा नहीं किया और केसीसी का पैसा फसल की बजाय अन्य कामों में खर्च कर दिया।

वर्जन
-कूंड, काठौदी, कनापुर, तुलसेफ आदि गांवों में सैकड़ों किसानों के खाली खेतों की फसलों की बीमा हुआ है। यह बात मैं सांसद के अलावा कलेक्टर को भी बता चुका हूं। बीमा के नाम पर किसानों का पैसा बेजा लिया गया है वह वापस मिलना चाहिए।
महावीर सिंह मीणा
अध्यक्ष, भाजपा किसान मोर्चा, श्योपुर

-नियम ही यह है कि किसान ने जिस फसल के लिए केसीसी ली है उस फसल का बीमा बैंक केसीसी खाते से करती है। बैंकों ने अपना काम नियमानुसार किया है।
अनिल कुमार सिंह चैहान
मैनेजर, एसबीआई स्टेशन रोड श्योपुर

-श्योपुर दौरे के दौरान यह शिकायत सामने आई थी। खाली खेत में फसल बताकर बीमा हुआ है, लेकिन इसमें बैंकों की गलती नहीं कह सकते क्योंकि, नियम ही यही है। यह पूरा मामला सरकार के संज्ञान में लाया गया है। उम्मीद है जल्द ही सरकार किसान हित में फैसला करेगी।
अनूप मिश्रा, सांसद, श्योपुर

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