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फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों आज पहुंचेंगे भारत, 12 मार्च को मोदी के साथ करेंगे बनारस की सैर

दिल्ली(ईन्यूज एमपी)- फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का तीन दिन का भारत दौरा शनिवार को शुरू होगा। हालांकि, वो शुक्रवार रात तक यहां पहुंच जाएंगे। दौरे के पहले दिन शनिवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मैक्रों के बीच द्विपक्षीय बातचीत होगी। अगले दिन दोनों नेता राष्ट्रपति भवन में होने वाली सौर ऊर्जा गठबंधन की पहली बैठक का उद्घाटन करेंगे। मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में मैक्रों की भव्य खातिरदारी करेंगे। उन्हें गंगा के घाट घुमाएंगे। गंगा में नाव की सैर कराएंगे। मैक्रों जापानी पीएम शिंजो आबे के बाद बनारस जाने वाले दूसरे राष्ट्राध्यक्ष होंगे।

- मोदी और मैक्रों के बीच रक्षा, स्पेस, सुरक्षा, ऊर्जा से जुड़े मुद्दों पर द्विपक्षीय बातचीत होगी। कारोबारी संबंधों की समीक्षा होगी। मेक इन इंडिया से जुड़े कई बड़े रक्षा समझौते भी हो सकते हैं। दोनों देशों के कारोबारी, राजनीतिक और रणनीतिक रिश्ते और मजबूत होेंगे।

- मैक्रों और मोदी अंतरराष्ट्रीय सोलर गठबंधन की पहली समिट का इनॉगरेशन करेंगे। इसकी थीम जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण है। ये समिट राष्ट्रपति भवन में होगी। इसमें 21 देशों के राष्ट्राध्यक्ष और चार देशों के प्रधानमंत्रियों के अलावा 125 देशों के रिप्रेजेंटेटिव भी हिस्सा लेंगे।

- मैक्रों उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर के दादर काला गांव में 75 मेगावाट के सोलर प्लांट का इनॉगरेशन करेंगे। वे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में बने पंडित दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल का दौरा करेंगे। यहां हैंडीक्रॉफ्ट के सामानों का केंद्र है। मोदी ने पिछले साल इसे शुरू किया था।

फ्रांस स्कॉर्पीन सबमरीन की डील चाहता है

- फ्रांस की मीडिया के मुताबिक, मैक्रों भारत को 100 से 150 रफाल एयरक्राफ्ट बेचना चाहते हैं। स्कॉर्पीन-क्लास की सबमरीन देने की भी मंशा है। इसलिए उनके साथ फ्रांस के टॉप डिफेंस फर्म के सीईओ आ रहे हैं। इसमें डसाल्ट एविएशन, नावेल, थेल्स जैसी कंपनियां शामिल हैं। 5वीं पीढ़ी के प्लेन बनाने पर भी करार हो सकता है।

रियूनियन और जिबूती द्वीप पर हमें एंट्री मिल सकती है
- भारत-फ्रांस के बीच लॉजिस्टिक क्षेत्र में करार हो सकता है। फ्रांस मेडागास्कर के पास स्थित रियूनियन आइलैंड और अफ्रीकी बंदरगाह जिबूती में भारतीय जहाज को एंट्री दे सकता है। इससे भारत का समुद्र के रास्ते होने वाला कारोबार मजबूत होगा। जिबूती में चीनी सैन्य बेस भी है। यानी यह स्ट्रैटेजिक रूप से अहम है।

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