ग्वालियर(ईन्यूज एमपी)- ग्वालियर विकास प्राधिकरण करीब एक दशक पहले गायब हुई 26 फाइलों के मामले में भले ही अभी पूरी जांच नहीं हुई है और ना ही इस कांड के पीछे शामिल लोगों का पता लगा हैं। लेकिन अब जीडीए ने गड़बड़ियों को रोकने के लिए अपने सारे दस्तावेजों को कंप्यूटराइज्ड करने का काम शुरू कर दिया हैं। इससे ना केवल जीडीए के आधिपत्य वाले कागजात अपडेट होंगे बल्कि कोर्ट केस और उपभोक्ताओं को भी स्टेटस अपडेट मिलता रहेगा। ग्वालियर विकास प्राधिकरण में जमीनों की फाइलों को एक रैकेट के द्वारा गायब किया जा रहा है। साथ ही इसमें ऑफिस से लेकर गृह निर्माण समितियों और कॉलोनाइजर की भूमिका है। जिसके बाद प्राधिकरण ने जीडीए अपनी योजनाओं को जमीनी संबधित डाटा को ऑनलाइन करने का फैसला लिया है। जीडीए के सीईओ के मुताबिक इससे गडबडी पर रोक लगेंगी। साथ ही प्राधिकरण की जमीन, आवास संबंधि मामलों के लिए उपभोक्ताओं को बार-बार आफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेगे। जीडीए इस काम को एक निजी कंपनी के माध्यम से आफिस में रखी सभी फाइलों को अपडेट कर फीडिंग करने का काम कर रहा है। मामना जा रहा है, ये बहुत जल्द शुरू हो जाएगी, जिसका फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा। जीडीए से संबंध रखने वाले उपभोक्ताओं को अपनी फाइल का स्टेट्स जानने के लिए जीडीए आफिस तक आना पड़ता है। ग्वालियर विकास प्राधिकरण के सीईओ वीरेंद्र सिंह ने यहा बताया कि इससे गडबडी पर रोक लगेंगी। साथ ही प्राधिकरण की जमीन, आवास संबंधि मामलों के लिए उपभोक्ताओं को बार-बार आफिस के चक्कर नहीं लगाने पड़ेगे।