जबलपुर. हाईकोर्ट ने जबलपुर में नगरीय निकाय चुनाव के दौरान केंद्र सरकार के अफसरों की क्लास लेने के मामले में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं। एक जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि मोहन भागवत ने आचार संहिता लागू रहने के दौरान केंद्र सरकार के बड़े अफसरों को बैठक में बुलाया था। याचिका में कहा गया कि नियम के अनुसार केंद्र सरकार के अफसरों पर किसी भी राजनीतिक दल, गैर धर्मनिरपेक्ष दल की बैठक या उनकी गतिविधियों में शामिल होना पूरी तरह प्रतिबंधित है। मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद जस्टिस राजेंद्र मेनन और जस्टिस एसके गुप्ता की खंडपीठ ने केंद्रीय कार्मिक विभाग के सचिव, सचिव रेलवे, मुख्य सचिव दूर संचार विभाग, केंद्रीय मुख्य निर्वाचन आयुक्त, राज्य निर्वाचन आयुक्त, तत्कालीन डीआरएम एके सिंह, तत्कालीन सीजीएम टेलीकॉम फैक्टरी जितेंद्र व्यास, अतिरिक्त केंद्रीय पीएफ आयुक्त और कलेक्टर जबलपुर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले पर अगली सुनवाई 28 सितंबर को होगी। डेमोक्रेटिक लॉयर्स फोरम के अध्यक्ष ओपी यादव ने याचिका दायर कर बताया कि केंद्रीय सिविल सर्विस आचरण नियम 1964 की धारा 5 में केंद्र सरकार के अफसरों का राजनीतिक दल, गैर धर्मनिरपेक्ष दल, प्रतिबंधित संगठन की बैठक या उनकी गतिविधियों में शामिल होना पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसका उल्लंघन करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का प्रावधान है। याचिका में बताया गया कि जनवरी में नगर निगम चुनाव के दौरान डॉ. भागवत जबलपुर प्रवास पर थे। उन्होंने 19 जनवरी को डॉ. पवन स्थापक के निवास पर एक बैठक में केंद्र सरकार के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को बुलाया और उन्हें दिशा-निर्देश जारी किए। महापौर की कांग्रेस प्रत्याशी गीता शरत तिवारी ने 19 जनवरी को ही मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर शिकायत की थी और इस बैठक में अफसरों के शामिल होने को आचार संहिता का उल्लंघन बताया था। इसके बाद याचिकाकर्ता ने भी आरटीआई और नोटिस के माध्यम से संबंधित अफसरों से बैठक में शामिल होने का कारण और उद्देश्य मांगा था। जब कहीं से कोई जवाब नहीं आया तो हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई।