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सफलता की कहानी: खेती ने बदल दी पुरुषोत्तम की तस्वीर

बबलू वैरागी(ईन्यूज़ एमपी)झाबुआ - ​आज हम बात कर रहे हैं थांदला ब्लाक के उन्नतशील किसान पुरूषोत्तम पाटीदार की,। पुरुषोत्तम निवासी सुतरेटी विकासखण्ड थांदला ने खेती को व्यावसाय की तरह करना प्रारंभ किया एवं खेती में आधुनिक कृषि उपकरण सिंचाई के लिए ड्रीप सिंचाई पद्धति एवं उन्नत वैज्ञानिक तकनीको का उपयोग कर खेती को लाभ का धंधा बना लिया। परपरागत खेती से जितनी जमीन में मात्र 50 हजार रूपये वार्षिक कमाई होती थी, उसी से अब वह 10 से 12 लाख सालाना आय अर्जित कर रहे है। सोयाबीन, उडद, मुगफली, ज्वार जैसी परपंरागत ख्ेाती करने वाले किसान पुरूषोतम को जब महाराष्ट्र पुना में उद्यानीकी विभाग की तरफ से भ्रमण पर जाने का अवसर मिला तो उन्होने वहां पर टमाटर की खेती को ड्रिप व मल्चिंग से करते हुवे देखा व ड्रिप व मल्चिंग के उपयोग से खेती कैेसी करना है, इसके लिए किसानो से व्यक्तिगत बात करके तकनीकी को बारिकी से समझा। ग्राम सुतरेटी में रहने वाले पुरूषोतम पिता वजैराम ने अब उद्यानिकी फसलो के उत्पादन का प्रशिक्षण लेकर विकास की रफतार पकड ली है। वैज्ञानिक तकनीको और षासकीय अनुदान का उपयोग कर वे क्षैत्र के अच्छे किसानो की श्रैणी में आ गये है। तकीनीकी ज्ञान की कमी एवं संसाधन सीमित होने से वह कड़ी मेहनत के बाद भी अपनी आय में वृद्धि नहीं कर पा रहे थे। किन्तु जब किसान भ्रमण कार्यक्रम के दौरान अन्य किसानो की फसले देखी एवं वैज्ञानिक तकनिकों और उद्यानिकी विभाग से प्राप्त षासकीय अनुदान का लाभ लिया तो वह विकास की अग्रिम पंक्ति में आ गये। खरीफ फसल से 40-50 हजार वार्षिक कमाने वाले पुरूषोतम पाटीदार खेती में उन्नत कृषि उपकरण, वैज्ञानिक तकनिकी एवं ड्रीप सिंचाई का उपयोग कर कम पानी होने के बाद भी 5 एकड खेत से 10-12 लाख वार्षिक आय अर्जित कर रहे है। पुरूषोतम पाटीदार ने अपने खेत में टमाटर की फसल लगाई एवं उद्यानिकी विभाग से ड्रींप सिंस्टम अनुदान योजना में ड्रीप लगाई। टमाटर से प्राप्त आमदनी के बाद उन्होने खेती करने का ही प्लान बना लिया। अब वह अपने खेत में ही और अधिक उद्यानिकी फसले लगाकर आय अर्जित करना चाहते है जिससे परिवार का अच्छे से विकास हो सके।
​झाबुआ जिले के ग्राम सुतरेटी में रहने वाले कृशक श्री पुरूषोतम पाटीदार ने चर्चा के दौरान बताया कि उनके पास सिंचाई के लिये कुआ एवं ट्यूबवेल है जिससे ड्रीप एवं मल्ंिचग लगाकर खेत में तरबूज, मिर्ची, अदरक, प्याज, टमाटर, लहसुन, भिण्डी इत्यादि फसल लगाते है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ हुई। ड्रीप इरीगेषन सिस्टम लगाने से पहले वह सिर्फ खरीफ की ही फसल कर पाते थे। वह अपने खेत में कपास, सोयाबीन बोते थे, लेकिन सिंचाई के लिए पानी की कमी की वजह से उत्पादन कम हो पाता था। ड्रीप लगाने से टमाटर की खेती से अच्छी आमदनी हुई उससे पुरूषोतम ने रहने के लिए संुदर पक्का मकान बना लिया, खेती के लिए टेक्ट्रर, रोटावेटर, कल्टीवेटर, खरीद लिये आवागमन के लिए चार पहिया वाहन भी खरीद लिया है एवं अपने दो बच्चो की शिक्षा भी अच्छे निजी स्कूल में करवा रहे है।

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