राजस्थान ( ईन्यूज़ एमपी ) - लोकसभा और विधानसभा उपचुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई है. यह पहला मौका नहीं है, जब उपचुनाव में बीजेपी इतनी बुरी तरह हारी हो. 2013 से राजस्थान में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अब तक आठ उपचुनाव हुए. इसमें से चार विधानसभा और दो लोकसभा सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा जमाया. जबकि बीजेपी केवल दो विधानसभा का ही उपचुनाव जीत पाई. सबसे बड़ी बात तो यह कि केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद कांग्रेस जीत दर्ज करने में कामयाब रही. राजनीतिक जानकारों की मानें तो राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने का ट्रेंड रहा है. ऐसे में एक बार फिर कहा जा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में नतीजे बदलेंगे. वहीं कुछ राजनीतिक पंडितों का कहना है कि वसुंधरा सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर धीरे-धीरे बढ़ रही है. राज्य में लगातार सांप्रदायिक घटनाएं भी हुई हैं. इसके अलावा पद्मावती के खिलाफ हुए आंदोलन ने भी सरकार के वोट बैंक में सेंध लगाईं है. क्या हुआ था 2013 का विधानसभा चुनाव.... राज्य के 2013 के विधानसभा चुनाव में नसीराबाद से सांवर लाल जाट, सूरजगढ़ से संतोष अहलावत, वैर से बहादुर कोहली और कोटा दक्षिण से ओम विडला चुनाव जीत कर आए थे. इसके पांच माह बाद लोकसभा चुनाव हुए. इसमें कांग्रेस ने चारों विधायकों को लोकसभा का टिकट दिया और ये सभी प्रत्याशी लोकसभा चुनाव जीतकर संसद में पहुंच गए. इसके बाद चारों विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुआ, जिसमें तीन नसीराबाद, सूरजगढ़ और वैर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने दोबारा कब्जा कर लिया. जबकि केवल एक सीट कोटा दक्षिण पर भाजपा को जीत हासिल हुई. फिर हुए धौलपुर लोकसभा उप चुनाव. इसमें भाजपा ने जीत दर्ज की. इससे पहले यह सीट बसपा के खाते में थी, लेकिन बसपा के बीएल कुशवाहा धौलपुर से विधायक थे. उन पर सजा तय होने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता चली गई. भाजपा ने दांव खेला और उन्हीं की पत्नी को पार्टी में शामिल करके चुनाव लड़ाया और भाजपा जीत गई.