ग्वालियर,(ईन्यूज़ एमपी )- मेले में दाखिल होते ही, थोड़ी दूर चलते ही सैलानियों के कदम कुछ मिनटों के लिए ठहरे जाते हैं, जब उन्हें हाथों में डंडा पकड़े एक छोटी बच्ची रस्सी पर करतब दिखाती नजर आती है। रस्सी पर हौले-हौले कदम जमाकर चलती, डर को दूर करने के लिए कोई गीत गुनगुनाती, यह बच्ची जब तलक रस्सी पर एक कोने से दूसरे कोने तक नहीं पहुंच जाती है, तब तक सभी की निगाहें उससे हटती नहीं हैं। छह साल की इस बच्ची का नाम है रूपा, जो खिलौनों से खेलने की उम्र में रोजीरोटी के लिए संघर्ष कर रही है। मासूम रूपा को अभी अच्छे कपड़े, खिलौने और अच्छी जिंदगी के मायने अभी मालूम ही नहीं है। यही वजह है कि उसके चेहरे पर कोई मलाल नहीं दिखाई देता है। उसके करतब से मिलने वाले रुपयों को जब माता-पिता के चेहरे पर चमक दिखाई देने लगती है तो वह भी खुश हो जाती है। उसे लगता है शायद यही जिंदगी है, लेकिन इस बच्ची को देखकर कई दर्शकों के मन में यह सवाल जरूर उठता है-क्या इस मासूम की जिंदगी इसी जद्दोजेहद में बीत जाएगी? क्या वह भी दूसरे बच्चों की तरह कभी जिंदगी जी पाएगी? सिर्फ चार महीने में सीखा रस्सी पर करतब करना रूपा के माता पिता ने चर्चा में बताया कि वो छत्तीसगढ़ से यहां आए हैं। बचपन में वह भी दो वक्त की रोटी के लिए इस तरह का करतब दिखाया करते थे। यही काम उनकी बच्ची भी कर रही है। इसमें कोई अलग बात नहीं है। एक तरह से ये उनका पुश्तैनी काम है। उन्होंने बताया कि रूपा ने रस्सी पर करतब दिखाना सिर्फ चार महीने की ट्रेनिंग में ही सीख लिया था। जबकि उसके 7 वर्षीय भाई आशीष को इसमें एक साल का समय लग गया था। कड़ी मेहनत लगती है रूप जब हवा मे लहराती रस्सी पर कलाबाजियां करती है, एक पैर में बांस फंसाकर या लोहे की रिगं में पैर फंसाकर करतब दिखाती है तो ज्यादातर सैलानी हैरत में पड़ जाते हैं। उनके दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं और इसके साथ-साथ वह इस बच्ची की प्रतिभा के मुरीद भी हो जाते हैं। इस बारे में रूपा के माता-पिता बताते हैं कि इस तरह का करतब दिखाना आसान काम नहीं होता है। हर दिन घंटों तक प्रैक्टिस करना पड़ती है, शरीर को लचीला बनाना पड़ता है। रस्सी पर संतुलन बनाना काफी मुश्किल काम है। जब कोई आदमी उनकी बच्ची की तारीफ करता है तो उन्हें काफी अच्छा लगता है, खुशी होती है।