भोपाल(ईन्यूज़ एमपी) - मध्य प्रदेश में आंदोलनकारी अध्यापकों के सामने सरकार ने हार मान ली है। सीएम शिवराज ने अध्यापकों की सभी मांगों को स्वीकार कर लिया है। सीएम ने अध्यापकों की सबसे बड़ी मांग शिक्षा में संविलियन मान ली है।उन्होंने घोषणा की कि अध्यापकों का स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन किया जाएगा। अब केवल एक ही शिक्षक संवर्ग होगा। कोई अलग से संवर्ग नहीं होगा। अब आम शिक्षको की तरह हर सुविधा मिलेगी। इसके साथ ही सीएम ने अध्यापको और गुरुजी की भी हर मांग मान ली है।। मध्यप्रदेश में गुरु जी, शिक्षा कर्मी, अध्यापक यह सब खत्म कर दिया गया है।चुनावी साल को देखते हुए सीएम का यह बड़ा ऐलान माना जा रहा है। आपको बता दें कि आज राजधानी भोपाल में शिवराज सरकार के खिलाफ अध्यापकों ने शिक्षा महापंचायत का आयोजन किया था। जिसमें लाखों की तादाद में अध्यापक भोपाल के शाहजहांनी पार्क में पहुंचे थे। अध्यापकों ने शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग सरकार के सामने रखी थी और मांगे ना पूरी होने तक महापंचायत जारी रखने का फैसला किया था।इसके साथ ही मांगे ना माने जाने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी और 22 जनवरी से पूरे मप्र में तालाबंदी की बात कही थी। इसी कड़ी में अपनी मांगों को लेकर वे सीएम हाउस पहुंचे थे। जहां सीएम ने उनके साथ बैठक कर चर्चा की औऱ सभी मांगों पर अपनी सहमति जाहिर की। सीएम ने अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा कि कई वर्षों से अध्यापकों के साथ अन्याय हो रहा था। इस फैसले से हमने ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त कर दिया। सरकार ने कुछ दिनों पहले कांग्रेस के शासनकाल में चल रहे मप्र में कर्मी कल्चर समाप्त करने का फैसला लिया था।अब शिक्षा में संविलियन को समाप्त कर दिया गया है। CM शिवराज ने कहा कि शिक्षकों को मिलने वाले सारे फायदे आज से मिलेंगे। सारे शिक्षक शिक्षा विभाग के अंतर्गत आए। शिक्षकों का भविष्य सरकार बनाएगी।सरकार की सभी घोषणाएं आज से लागू होगी। उनके अनुसार स्थानांतरण, गुरु जी की वरिष्ठता, मातृत्व अवकाश सहित अन्य वह चीजें जो सरकारी शिक्षक को मिलती हैं वह सब अध्यापकों को भी मिलेंगी।आप मेहनत से पढाओ। हर बच्चे को 70 फीसदी लाना है। अलग अलग संवर्ग समाप्त करने की घोषणा की।