चित्रकूट (ईन्यूज एमपी)-धार्मिक नगरी चित्रकूट में हुए भूमि घोटाले के मामले में हाईकोर्ट सख्त हो गया है। हाईकोर्ट में लगाए गए कोर्ट ऑफ कन्टेंप्ट के मामले में संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने कलेक्टर सतना व तहसीलदार मझगवां को नोटिस जारी कर चार हफ्ते के अंदर कार्रवाई का जवाब प्रस्तुत करने को कहा है। उक्त आदेश आने के बाद से ही तहसील समेत जिला मुख्यालय में हड़कंप की स्थिति निर्मित है। दूसरी तरफ स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि राजनैतिक संरक्षण के चलते प्रशासन कार्रवाई करने से बचता हुआ नजर आ रहा है। 1991 में आवंटित हुई थी जमीन बता दें कि तहसील मझगवां अंतर्गत नगर पंचायत नयागांव में बस स्टैण्ड के लिए जिस जमीन को 1991 में आवंटित किया गया था उक्त जमीन के मूल दस्तावेज पर हेराफेरी कर उसे निजी भूमि बताते हुए कुछ लोगों द्वारा बिक्री कर दी गई थी। इसको लेकर श्रीपाल द्विवेदी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। माननीय न्यायालय ने उक्त मामले को जल्द निराकरण करने का निर्देश जिला प्रशासन को जारी किया था। लेकिन उक्त मामले का निराकरण नहीं किया गया। बजाय इसके जमीन पर निर्माण कार्य भी शुरू करा दिया गया। तत्कालीन आरआई ने खोला था राज बस स्टैंड की बेशकीमती जमीन निजी हाथों में पहुंचने का राज किसी और न नहीं, बल्कि नगर पंचायत नयागांव में पदस्थ आरआई जेपी शर्मा ने खोला था। जेपी शर्मा ने कहा था कि जिस जमीन पर बालेन्द्र गुप्ता पुत्र मुन्नीलाल गुप्ता द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है, वह पूर्व में बस स्टैण्ड के लिए अधिग्रहित की गई थी। जबकि 1991 में उक्त जमीन नयागांव में बस स्टैंड के लिए आवंटित की गई थी। नेताओं की सांठगांठ से हुआ खेल 2011 तक वह जमीन बस स्टैंड के नाम पर ही रही। लेकिन 2015-16 तत्कालीन मझगवां एसडीएम दीपक वैद्य से सांठगांठ कर पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष व वर्तमान चित्रकूट विधायक नीलांशु चतुर्वेदी ने अपने नाम करा ली थी। इसे बाद में बालेन्द्र गुप्ता के हाथ बिक्री की गई। इन आदेशों का भी नहीं हुआ था पालन चित्रकूट बस स्टैंड की जमीन के संबंध सबसे पहले रिट पिटीशन दायर की गई थी। 25 जुलाई 2017 को न्यायालय ने शासन को सरकारी जमीन सुरक्षित करने का निर्देश दिया था। इस मामले में जिला कलेक्टर को निर्देश दिए गए थे। हालांकि इस पर ध्यान नहीं दिया गया और अब वह जमीन लोगों के कब्जे में है। इसके लिए पुनः कोर्ट की शरण ली गई। इसके बाद न्यायालय ने उसे कोर्ट ऑफ कन्टेंप्ट मानते हुए कलेक्टर व तहसीलदार को नोटिस जारी की है।