रीवा (ई न्यूज़ एमपी ) - अपने माता-पिता की सेवा करना हर संतान का धर्म है। लेकिन बदलते सामाजिक परिवेश के कारण कई माता-पिता संतान की उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। इसे ध्यान में रखते हुये। शासन द्वारा माता-पिता तथा वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण अधिनियम 2009 में संशोधन किया गया है। नये प्रावधानों के अनुसार माता-पिता की उपेक्षा करने वाले तथा उनकी सेवा से मुह मोड़ने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों का दस प्रतिशत वेतन अधिकतम दस हजार रूपये हर माह कटा जायेगा। यह राशि उनके माता-पिता को भरण पोषण के लिए प्रदान की जायेगी। जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मयंक अग्रवाल ने सभी एसडीएम तथा जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को इन प्रावधानों का पालन कराने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने सभी कार्यालय प्रमुखों को निर्देश देते हुये कहा है कि यदि उनके अधीन पदस्थ किसी कर्मचारी के विरूद्ध माता-पिता के उपेक्षा की शिकायत मिलती है तो अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्यवाही करें। भरण पोषण अधिनियम के प्रावधान राज्य शासन केन्द्रीय शासन, स्थानीय निकाय, अर्द्धशासकीय संस्थाएं सभी निगम जिला पंचायत, जनपद पंचायत, ग्राम पंचायत तथा राज्य शासन से अनुदान प्राप्त संस्थाओं के कर्मचारियों पर भी लागू होंगे।