कटनी(ईन्यूज़ एमपी)- दीपावली पर्व में विभिन्न प्रकार के पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। ज्वलनशील एवं ध्वनिकारक पटाखों के उपयोग के कारण परिवेशीय वायु में प्रदूषक तत्वों एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि होने से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ पटाखों से उत्पन्न ध्वनि की तीव्रता 100 डेसीबल से भी अधिक होती है। इस प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाना अति आवश्यक है जिससे मानव अंगों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। इस संबंध में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा पटाखों के लिये ध्वनि स्तर मानक निर्धारित किये हैं। जिसकी जानकारी देते हुये क्षेत्रीय अधिकारी मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एच.के. तिवारी ने बताया कि प्रस्फोटन के बिन्दु से 4 मीटर की दूरी पर 125 डीबी या 145 डीबी से अधिक ध्वनि स्तर जनक पटाखों का विनिर्माण, विक्रय व उपयोग वर्जित होगा। साथ ही लड़ी या जुड़े हुये पटाखों के लिये भी मानक निर्धारित किये गये हैं। उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी आदेश के अनुसार रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक ध्वनि कारक पटाखों को चलाया जाना पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। दीपावली में पटाखों को लेकर मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा आम जनता से अपील की है। जिसमें पटाखों को सीमित मात्रा में उपयोग करने और उसके बाद उत्पपन्न कचरे को घरूले कचरे के साथ ना रखनें की सलाह दी गई है। साथ ही अलग स्थान पर रखकर नगर निगम के कर्मचारियों को सौंपने के लिये भी कहा गया है। वहीं नगर निगम एवं नगर पालिकाओं को भी पटाखों का बचना पृथक करके उसका निष्पादन करने की बात भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा की गई है। खतरनाक रसायनों से जल प्रदूषण रोकने के लिये पटाखों के जलाने के बाद उनसे उत्पन्न कचरे को प्राकृतिक जल स्त्रोत व पेयजल स्त्रोंतो के नजदीक नहीं फेंकने की अपील भी आम नगरिकों से की गई है।