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अब प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में भी लागू होगी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था

भोपाल(ईन्यूज़ एमपी)- ग्रामीणों के जीवन-स्तर एवं स्वास्थ्य में गुणात्मक सुधार तथा गंदगी-मुक्त मध्यप्रदेश की अवधारणा को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था लागू की जाएगी। यह निर्णय 'गंदगी-मुक्त मध्यप्रदेश' समिति की आज सम्पन्न बैठक में लिया गया। बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव और नगरीय विकास एवं आवास मंत्री माया सिंह उपस्थित थीं।

बैठक में जानकारी दी गई कि ग्रामीण क्षेत्रों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए प्रदेश के 51 हजार 714 गाँवों को लगभग 2500 समूहों में बाँट कर क्लस्टर आधारित योजना का संचालन किया जाएगा। स्थानीय युवाओं को स्वच्छता सेवी के रूप में मुख्यमंत्री स्व-रोजगार योजना के तहत वाहन खरीदने के लिए आर्थिक सहायता दी जाएगी। लाभार्थी स्वच्छता सेवियों के साथ कचरा संग्रहण, परिवहन, पृथक्कीकरण और प्र-संस्करण का तीन वर्ष के लिए अनुबंध किया जाएगा। शासन द्वारा इन सेवियों को प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाएगा।

ग्रामीण ठोस अपशिष्ट प्रबंधन व्यवस्था के तहत क्लस्टर स्तर पर ही कचरे का संग्रहण, परिवहन, पृथक्कीकरण और प्र-संस्करण की व्यवस्था होगी तथा शासन द्वारा क्लस्टर स्तर पर पृथक्कीकरण एवं प्र-संस्करण केन्द्र का निर्माण किया जाएगा। साथ ही शासन द्वारा जनपद स्तर पर प्लास्टिक प्र-संस्करण केन्द्र की भी स्थापना की जाएगी। प्लास्टिक कचरे के प्र-संस्करण एवं विपणन के लिए महिला स्व-सहायता समूह को प्रशिक्षित किया जाएगा।

कचरे का संग्रहण एवं परिवहन:-
स्वच्छता सेवी द्वारा आबंटित क्लस्टर के गाँवों में निर्धारित समय एवं स्थान पर कचरे का संग्रहण किया जाएगा। संग्रहीत कचरे को स्वच्छता वाहन के माध्यम से पृथक्कीकरण एवं प्र-संस्करण केन्द्र पर लाया जाएगा, जिसमें कचरे का वजन कर रजिस्टर में दर्ज किया जाएगा। क्लस्टर के प्रत्येक परिवार से 5-10 रुपये एवं दुकानों और संस्थानों से 20-25 रुपये प्रति माह सेवा शुल्क लिया जाएगा। विवाह और अन्य सामाजिक/पारिवारिक आयोजनों में एकमुश्त 100 रुपये सेवा शुल्क आयोजको से लिया जाएगा।

कचरा प्र-संस्करण और निष्पादन:-
ग्रामीण क्षेत्रों के स्वच्छता सेवी क्लस्टर स्तर पर ही जैविक कचरे का विभिन्न प्र-संस्करण तकनीक के माध्यम से उपचार कर जैविक खाद का उत्पादन करेंगे, जो स्थानीय किसानों को 10 रुपये प्रति किलो की दर से 5 किलो की थैलियों में उपलब्ध होगा। जनपद पंचायत द्वारा निविदा प्रक्रिया के माध्यम से पुनर्चक्रण योग्य वस्तुओं के क्रय मूल्य तथा क्रयकर्ता का निर्धारण किया जाएगा। कचरे के निष्पादन में अजैविक तथा पुनर्चक्रण योग्य कचरे को अलग किया जाएगा। जैविक खाद तथा पुनर्चक्रण योग्य कचरे के विक्रय से हुई आय स्वच्छता सेवी को लाभांश के रूप में प्राप्त होगी। अजैविक तथा पुनर्चक्रण हेतु अयोग्य कचरे का निष्पादन विशेष रूप से खोदे गए गड्ढे में वैज्ञानिक तरीके से किया जाएगा। प्लास्टिक के कचरे को प्लास्टिक प्र-संस्करण केन्द्र पर विभिन्न तकनीक से उपचारित कर निष्पादित किया जाएगा। इसके विक्रय से हुई आय स्व-सहाया समूह की महिलाओं को लाभांश के रूप में मिलेगी। पंचायत सचिव तथा जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी इसकी नियमित निगरानी करेंगे।

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