भोपाल ( ईन्यूज एमपी ) नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा है कि बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों को स्वीकारते हुए एम ओ यू कर लगभग 800 करोड़ केंद्र सरकार से प्राप्त करने के बाद अब मध्यप्रदेश सरकार उसकी सिफारिशों को दरकिनार कर रही है। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र का राजनीतिक उपयोग और अपने चहेतों की नियुक्ति करने के लिए जो अध्यादेश ला रही है, यह सीधे-सीधे भारत सरकार के साथ धोखाधड़ी है। इससे प्रदेश सरकार की विश्वसनीयता पर भी सवाल खडे़ हो गए हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि वर्ष 2008 में यूपीए सरकार ने सहकारिता आंदोलन को मजबूत करने और को-ऑपरेटिव बैंकों को घाटे से उबारने के लिए बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू की थी। इसके लिए 8 हजार करोड़ रूपए से अधिक पूरे देश के लिए दिए गए थे। तब मध्यप्रदेश सरकार ने भारत सरकार से एमओयू करके कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार किया | प्रदेश को कुल 1100 करोड़ के पैकेज से 800 करोड़ रूपये प्रदेश सरकार को मिले थे। तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वाहवाही लूटी थी कि देश में पहला राज्य मध्यप्रदेश है जिसने बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशें लागू की। अनुशंसा के आधार पर सहकारिता एक्ट में संशोधन कर विधानसभा में पारित किया गया। सिफारिशों में एक महत्वपूर्ण सिफारिश थी सहकारी संस्थाओं में चुना हुआ ही अध्यक्ष होगा ऐसा न होने पर किसी भी अशासकीय व्यक्ति को न तो अध्यक्ष मनोनीत किया जा सकेगा और न ही प्रशासक।नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि अब सरकार की नियत डोल गई है। वह राजनीतिक लाभ के लिए जहाँ जानबूझकर सहकारी संस्थाओं के चुनाव को टाल रही है वहीं बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिशों के विपरीत अध्यादेश लाकर अपेक्स बैंक जैसी अन्य सहकारी संस्थाओं में मुख्यमंत्री अपने चहेतों को अध्यक्ष बनाने का कुचक्र रच रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपेक्स बैंक सहित अन्य संस्थाओं में जानबूझकर चुनाव नहीं करवाए जा रहे हैं ताकि सहकारी संस्थाओं में मनमानी नियुक्ति के जरिए चुनावी लाभ लिया जा सके। नेताप्रतिपक्ष ने कहा की इसी तरह सहकारी बैंकों में प्रोफेसनल एम डी होंगे इस दिशा में भी कोई कदम नहीं उठाए गए हैं | नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जिस अध्यादेश को आज मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है वह सरासर भारत सरकार रिजर्व बैंक और नाबार्ड के साथ धोखाधड़ी है। इन संस्थाओं के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री की उपस्थिती में एम ओ यू किया था|नेताप्रतिपक्ष ने कहा कि केंद्र सरकार, रिजर्व बैंक और नाबार्ड को पत्र लिखेंगे कि इस कृत्य के लिए मध्यप्रदेश सरकार पर वैधानिक कार्यवाही करें और स्पेशल पैकेज जो 800 करोड़ रूपए का प्रदेश सरकार को दिया था, उसकी वसूली करें।