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Home सीधी दर्पण बड़ी खबर: कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी की सख्ती का असर, रेत माफिया पर प्रशासन की सीधी मार, सहकार कंपनी आई शिकंजे में!

बड़ी खबर: कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी की सख्ती का असर, रेत माफिया पर प्रशासन की सीधी मार, सहकार कंपनी आई शिकंजे में!

सीधी (ईन्यूज़ एमपी): सीधी जिले में खनिज माफिया के खिलाफ प्रशासन ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। जिला कलेक्टर स्वरोचिष सोमवंशी के हस्तक्षेप के बाद खनिज विभाग नींद से जागा और रविवार को कुसमी क्षेत्र की गोपद नदी में रेत माफिया के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया गया। इस सर्जिकल स्ट्राइक जैसी कार्रवाई में एक पीसी (पोकलेन) मशीन जब्त की गई, जबकि दो मशीनों के चालक चाबियां लेकर मौके से फरार हो गए।

छापेमारी दोपहर 1 बजे शुरू हुई और रात 8 बजे तक चली। इस दौरान 1000 घन मीटर से अधिक अवैध रेत उत्खनन सामने आया। आश्चर्यजनक रूप से यह उत्खनन सिंगरौली जिले की लीज पर काम कर रही सहकार ग्लोबल कंपनी द्वारा सीधी जिले की सीमा में घुसकर किया जा रहा था। जबकि सीधी जिले की रेत खदानें कोर्ट केस के कारण बंद हैं और खुदाई पूरी तरह प्रतिबंधित है।

सूत्रों के मुताबिक सहकार कंपनी ने सिंगरौली से मशीन मंगवाकर रातों-रात रेत निकालने की पूरी तैयारी कर ली थी। लेकिन प्रशासन को जब इसकी भनक लगी, तो एसडीएम आर.पी. त्रिपाठी, तहसीलदार एकता शुक्ला, थाना प्रभारी भूपेश बैस और खनिज निरीक्षक शिशिर यादव की टीम मौके पर पहुंची और छापामार कार्रवाई की।

कार्रवाई में जमीन खोदती एक पीसी मशीन बरामद की गई, वहीं दो अन्य मशीनों के चालक पुलिस की पहुंच से पहले मशीन की चाबियां लेकर फरार हो गए। यह सवाल भी उठने लगे हैं कि अगर समय रहते कार्रवाई न होती, तो सोमवार सुबह तक हजारों घन मीटर और रेत गायब हो चुकी होती।

खनिज निरीक्षक शिशिर यादव ने पुष्टि की है कि कंपनी ने सिंगरौली की लीज का दुरुपयोग करते हुए सीधी जिले में अवैध रूप से प्रवेश कर उत्खनन किया, जो पूरी तरह गैरकानूनी है। मामले में आगे की जांच और कानूनी कार्रवाई जारी है।

प्रशासन अब यह भी खंगाल रहा है कि इस खेल में किस-किस की मौन स्वीकृति या मिलीभगत शामिल थी, और कब से यह खेल चल रहा था। सवाल यह भी है कि अगर प्रशासन नहीं जागता, तो क्या सीधी की खनिज संपदा यूं ही बेखौफ लुटती रहती?

अब निगाहें इस पर टिकी हैं कि सहकार कंपनी पर सीधी कार्रवाई होती है या फिर मामला रेंगते हुए कागजों में दम तोड़ देता है। फिलहाल संकेत स्पष्ट हैं—कलेक्टर के नेतृत्व में प्रशासन अब रेत माफिया को बख्शने के मूड में नहीं है।

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