भोपाल (ईन्यूज़ एमपी): पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने सतना में सामने आए उपार्जन घोटाले को लेकर सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जिस समय यह घोटाला हो रहा था, उस वक्त जिले के कलेक्टर अनुराग वर्मा थे और वे इस पूरे प्रकरण को रोकने में असफल रहे। अब उन्हें ही वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन तथा नागरिक आपूर्ति निगम का प्रबंध संचालक (MD) बना दिया गया है, जो संदेह और सवालों को जन्म देता है। क्या है मामला? हाल ही में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा सतना के कनक वेयरहाउस में जांच की गई, जहां 535 क्विंटल धान के स्थान पर भूसा भरा पाया गया, जबकि 4203 क्विंटल अनाज की कमी भी सामने आई। इसके अलावा गेहूं उपार्जन में भी कई समितियों द्वारा किसानों से वास्तविक खरीदी किए बिना ही अपने लोगों के खातों में भुगतान करवा दिया गया, जिससे सरकार को 1 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। अरुण यादव का आरोप है कि यह सिलसिला वर्षों से चल रहा है और इसमें वेयरहाउस एवं नागरिक आपूर्ति निगम के कर्मचारी तो दोषी हैं ही, साथ ही उस समय के कलेक्टर अनुराग वर्मा भी जिम्मेदार हैं जिन्होंने इस घोटाले को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए। अरुण यादव ने पूछा: "क्या यह महज संयोग है कि जिस अधिकारी के कार्यकाल में उपार्जन घोटाला हुआ, उसे ही बाद में उसी विभाग का एमडी बना दिया गया? क्या यह घोटालों को संरक्षण देने जैसा नहीं है?" अब सवाल यह है कि क्या सरकार केवल निचले स्तर के कर्मचारियों पर ही कार्रवाई करेगी, या फिर इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर और वर्तमान एमडी अनुराग वर्मा की भूमिका की भी निष्पक्ष जांच कर कठोर कदम उठाएगी?