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Home सीधी दर्पण कलेक्टर पर गलत आरोप: सच की जीत और झूठ की हार ...

कलेक्टर पर गलत आरोप: सच की जीत और झूठ की हार ...

सीधी ( ईन्यूज एमपी)आजकल कुछ लोग बिना सबूत के आरोप लगाने में इतने माहिर हो गए हैं कि लगता है जैसे वे जन्मजात "आरोप-शास्त्री" हों, हाल ही में सीधी कलेक्टर साहब स्वरोचिष सोमवंशी के खिलाफ अपनी जिप्सी से नेशनल पार्क के अंदर घूमने के आरोपों का मामला सामने आया, जो जांच के बाद पूरी तरह निराधार साबित हुए।

अब सवाल यह है कि जिन लोगों ने दिन-रात एक करके कलेक्टर की छवि पर कीचड़ उछाला, वे अब कहां मुंह छुपाएंगे? शायद अपने ही बनाए "सच्चाई के गड्ढे" में कूदकर, जहां से वे ये बेसिर-पैर की कहानियां निकालते हैं।

कलेक्टर, जो दिन-रात जनता की सेवा में लगे रहते हैं, उनके लिए यह कोई नई बात नहीं। हर दूसरा दिन कोई न कोई "न्याय का ठेकेदार" आ जाता है, हाथ में एक काल्पनिक माइक लिए, और शुरू हो जाता है अपना राग- "भ्रष्टाचार! अन्याय! सबूत? अरे, सबूत की जरूरत ही क्या है, हमारा कहना ही काफी है!" लेकिन जब जांच हुई, सच सामने आया, तो ये ठेकेदार साहब लोग गायब। शायद अगले "टारगेट" की तलाश में निकल गए होंगे, क्योंकि इनका असली काम तो सेवा नहीं, सनसनी फैलाना है।

हंसी तब और आती है, जब ये लोग अपनी गलती मानने की बजाय नई कहानी गढ़ने लगते हैं। "अरे, जांच में तो गड़बड़ हुई होगी!" या "कलेक्टर ने सबको खरीद लिया!" वाह, क्या कल्पनाशक्ति है! इनसे तो बॉलीवुड वाले भी स्क्रिप्ट लिखवाने आएं, तो ब्लॉकबस्टर फिल्म बन जाए। लेकिन अफसोस, असल जिंदगी में ये स्क्रिप्ट नहीं चलती। सच का आईना जब सामने आता है, तो ये सारे "हीरो" जीरो बन जाते हैं।

अब इन आरोप लगाने वालों को एक सलाह मुफ्त में- अगली बार जब उंगली उठाएं, तो पहले चार उंगलियां अपनी तरफ मोड़कर देख लें। कहीं ऐसा न हो कि जिस कीचड़ को आप दूसरों पर उछाल रहे हैं, वह सूखकर आपके ही चेहरे पर जम जाए।

कलेक्टर साहब तो अपने काम में लगे रहेंगे, लेकिन आपकी किरकिरी तो पूरी दुनिया देख रही है। तो भैया, अगली बार थोड़ा होमवर्क कर लिया करो, वरना सच के सामने ऐसे ही मुंह की खानी पड़ेगी।

आखिर में, एक पुरानी कहावत याद आती है- "झूठ के पांव नहीं होते।" लेकिन लगता है इन आरोपियों के पास तो पांव ही नहीं, दिमाग भी उधार का है। कलेक्टर साहब को बधाई कि वे इस तमाशे से बेदाग निकले, और इन "आरोप-वीरों" को शुभकामनाएं कि अगली बार कम से कम एक सबूत तो जुटा लें।

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