आखिर वह पल आने ही वाला है जिस पर देश व दुनिया के वैज्ञानिकों की नजरें गढ़ी हैं। अब से कुछ ही घंटों बाद यानी 29 अप्रैल, बुधवार को एक विशालकाय Asteroid उल्का पिंड पृथ्वी के करीब आने वाला है। अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार यह पृथ्वी से लगभग 40 लाख मील के फासले से गुजर जाएगा और हम सुरक्षित बच जाएंगे। हालांकि NASA इसके मूवमेंट पर पूरी नज़र बनाए हुए है। यदि यह अपनी कक्षा से थोड़ा भी हिलता है तो यह मुसीबत पैदा कर सकता है। यह ईस्टर्न टाइम के अनुसार बुधवार सुबह 5 बजकर 56 मिनट पर और भारतीय समयानुसार दोपहर 3.30 बजे के आसपास पृथ्वी के निकट होकर गुज़रेगा। इस बड़े एस्टेरॉयड के अलावा पृथ्वी की तरफ एक कम आकार का अन्य एस्टेरॉयड भी आ रहा है। NASA Asteroid Watch ने रात बजे यह अपडेट देते हुए बताया है कि Tiny #asteroid 2020 HS7 आज से लगभग 23,000 मील / 36,400 किमी की दूरी पर है। यह ईस्टर्न टाइम दोपहर 3 बजे से ठीक पहले पृथ्वी को सुरक्षित रूप से पार करके आगे बढ़ जाएगा। 2020 HS7 से हमारे ग्रह के लिए कोई खतरा नहीं है, और इस आकार के छोटे क्षुद्रग्रह सुरक्षित रूप से प्रति माह कुछ समय पृथ्वी से गुजरते हैं। 2020 एचएस 7 (4-6 मीटर व्यास वाले) जैसे छोटे एस्टेरॉयड काफी छोटे हैं कि अगर वे पृथ्वी के साथ टकराते भी हैं तो पृथ्वी के वातावरण में ही नष्ट हो जाएंगे। भविष्य में संभावित खतरों से पृथ्वी की रक्षा के लिए हमारे #planetarydefense विशेषज्ञ लगातार आसमान की ओर देख रहे हैं। - वैज्ञानिकों और आम लोगों सभी के लिए यह आकर्षण का केंद्र है। यह बेहद तेज है और विशाल भी। करीब 1.2 मील चौड़ा यह पिंड अपने निर्धारित समय पर बिजली की गति से तेजी से नजदीक आता जा रहा है। - इसकी रफ्तार 19 हजार किलोमीटर प्रति घंटा है। इसकी ताजा तस्वीर सामने आई है। मजे की बात यह है कि इसकी आकृति किसी मॉस्क लगाए चेहरे जैसी नज़र आ रही है। मॉस्क जैसी आकृति का कारण इस पर मौजूद पहाड़ी नुमा स्थान और खाली मैदानों की लकीरें हैं। - जब यह धरती के पास होगा तब इसकी दूरी पृथ्वी व चांद की दूरी की 15 गुना दूरी के समान होगी। धरती से चांद की दूरी 3 लाख किमी है, यानी यह उल्का पिंड पृथ्वी से 30 लाख से भी अधिक किमी की दूरी से गुज़र जाएगा। - यह अपने आप में बड़े आकार का है। 1998 में नासा ने इसका पता लगा लिया था, इसी के चलते इसका नाम 1998 OR2 रखा गया है। - यही उल्का पिंड आज से 59 साल बाद यानी वर्ष 2079 में वापस सौर मंडल में आएगा। अरेबिको वेधशाला के स्पेशलिस्ट फ्लेवियन वेंडीटी का कहना है कि 2079 में यह खतरनाक साबित हो सकता है क्योंकि तब इसकी पृथ्वी से दूरी महज 3.5 गुना ही रह जाएगी। यानी अभी इसकी आर्बिट का निरीक्षण एवं अध्ययन जरूरी है क्योंकि भविष्य में यह कभी भी पृथ्वी के लिए बड़ा संकट बन सकता है। एक मील चौड़ा, 4 किमी विशाल यह एस्टेरायड आकार में बहुत बड़ा है। इसका आकार कम से कम एक मील चौड़ा या 1.8 किमी है और पृथ्वी के आकाश की गणना पर आधारित 4.1 किमी जितना विशाल है। नासा एस्टेरायड वॉच ने दोहराया कि हालांकि यह एस्टेरायड पृथ्वी पर एक संभावित खतरनाक प्रभाव पैदा कर सकता है, बावजूद बहुत कम संभावना है कि इसका पृथ्वी पर या पृथ्वी पर कोई सीधा प्रभाव पड़ेगा। यह पृथ्वी के बहुत पास से गुजरेगा लेकिन टकराएगा नहीं। अंतरिक्ष की भाषा में बहुत पास का मतलब भी बहुत-बहुत दूर होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जिस समय यह पृथ्वी के निकट से गुजरेगा तब उसकी यहां से दूरी करीब 4 मिलियन किमी यानी 40 लाख किमी होगी। इस Asteroid की गति पृथ्वी के पास से गुजरते समय 20 हजार मील प्रति घंटा हो जाएगी। 1998 में NASA को पता चला था अमेरिका की अंतरिक्ष शोध अनुसंधान एजेंसी नासा NASA को इस Asteroid के बारे में वर्ष 1998 में ही पता चल गया था। वैज्ञानिकों ने इसका नाम 52768 व 1998 ओआर-2 दिया है। इसकी कक्षा चपटे आकार की है। इसकी खोज 1998 में हुई थी और तभी से वैज्ञानिक इसका लगातार अध्ययन कर रहे हैं। इसके पास से गुजरने का पृथ्वी पर प्रभाव इस Asteroid को वैज्ञानिकों ने 527768 (1998 OR2) नाम दिया है। यह पृथ्वी से लगभग चार मिलियन किमी दूर से गुजर जाएगा। यह दूरी कितनी है, इसे ऐसे समझें। यह आंकड़ा पृथ्वी एवं चंद्रमा के बीच की दूरी का करीब 16 गुना ज्यादा है। यानी पृथ्वी पर इसका सीधे तौर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला। धरती के नष्ट होने या महाविनाश जैसी घटना यह ताजा दावा भी पिछले तमाम सैकड़ों दावों की तरह ही खोखला है।