भोपाल(ईन्यूज एमपी)- शिवराज सरकार में डेढ़ साल से घूम रही अनुकंपा नियुक्ति के नियमों में बदलाव की फाइल अब गति पकड़ सकती है। सामान्य प्रशासन विभाग इस मामले को कैबिनेट ले जाने की तैयारी कर रहा है। माना जा रहा है कि संशोधन के बिना अनुकंपा नियुक्ति के लंबित मामलों के लिए विशेष अभियान चलाने के कोई मायने नहीं निकलेंगे। वैसे भी कलेक्टरों ने अभी तक लंबित मामलों की जानकारी भी नहीं भेजी है। विभाग ने इसको लेकर स्मरण पत्र भी जारी कर दिया है। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही अनुकंपा नियुक्ति एक बार फिर फोकस में आ गई है। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सभी विभागों को अनुकंपा नियुक्ति के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश तो दिए हैें पर यह नियम में सुधार किए बिना कारगर साबित नहीं हो सकते। विभागीय मंत्री डॉ. गोविंद सिंह भी इससे इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने कैबिनेट में छूट देने का प्रस्ताव ले जाने की बात कही है। यह मामला डेढ़ साल से अटका हुआ है। पिछली सरकार में भी इसकी वजह से अनुकंपा नियुक्ति नहीं हो पा रही थी। दरअसल, पांच हजार से ज्यादा ऐसे मामले प्रदेश में लंबित हैं, जिसमें आवेदन सात साल के भीतर हो गया पर नियुक्ति नहीं मिली। ऐसे प्रकरणों को जिला प्रशासन ने यह कहते हुए ठंडे बस्ते में डाल दिया कि सात साल की अवधि बीत चुकी है, जबकि यह अवधि सिर्फ आवेदन करने के लिए थी न कि नियुक्ति देने के लिए। सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ऐसे मामले जब मार्गदर्शन के लिए जिलों से आते हैं तभी कार्रवाई हो पाती है। जिलों में यदि ऐसे प्रकरण लंबित रखकर निपटाए जा रहे हैं तो इसके लिए संबंधित अधिकारी ही दोषी हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक भी इस तरह की शिकायतें पहुंची थीं। उन्होंने सामान्य प्रशासन विभाग को कार्रवाई करने भी लिखा था, लेकिन फाइल ही चलती रही और फिर विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। सूत्रों का कहना है कि आईएएस अधिकारी निर्धारित अवधि के बाद के प्रकरणों में छूट देने के पक्ष में नहीं है। यही वजह है कि वे फाइल को आगे ही नहीं बढ़ा रहे हैं। सामान्य प्रश्ाासन मंत्री डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि छूट देने के लिए कैबिनेट से निर्णय होगा। इसके लिए प्रस्ताव रखा जाएगा।