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मंत्री बनने कई सांसद चाहते हैं विधानसभा का टिकट.......

भोपाल - भारतीय जनता पार्टी के कई सांसद इन दिनों प्रदेश सरकार में मंत्री बनने के लिए विधानसभा टिकट की दौड़ में लगे हैं। ऐसे सांसदों की दिलचस्पी लोकसभा में न होकर प्रदेश की राजनीति में लौटने की है। इसकी वजह ये है कि 2008 के विधानसभा चुनाव में जिन सांसदों ने विधानसभा चुनाव लड़ा था, उनमें से कुछ मंत्री बन गए थे। ऐसे नेताओं में सरताज सिंह, रामकृष्ण कुसमरिया, गौरीशंकर बिसेन, माया सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया शामिल हैं। सिर्फ नीता पटेरिया को ही उन दिनों सांसद से विधायक बनने पर मंत्री पद नहीं मिला था। भूपेंद्र सिंह भी सांसद रहने के बाद प्रदेश लौटे और मंत्री बने। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी सांसद रहे हैं।

अनूप मिश्रा की रुचि प्रदेश की सियासत में

मुरैना सांसद अनूप मिश्रा भी ग्वालियर की किसी विधानसभा सीट से टिकट पाकर प्रदेश की राजनीति करना चाहते हैं। यहां से निर्वाचित विधायक माया सिंह की रुचि अगला चुनाव लड़ने में नहीं हैं। वे केंद्र की राजनीति करना चाहती हैं। ग्वालियर पूर्व में भाजपा नेता सतीश सिकरवार का प्रभाव है जो निर्विरोध पार्षद चुने गए थे। उनकी पत्नी भी पार्षद है। पिता गजराज सिंह सिकरवार सुमावली से एमएलए रहे हैं। सतीश यहां से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। माना जाता है कि यदि पार्टी ने यहां से अनूप मिश्रा को टिकट दिया तो ही सिकरवार चुनाव नहीं लड़ेंगे। मिश्रा उमाभारती से लेकर शिवराज सरकार में मंत्री रहे हैं।

दो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष भी टिकट दौड़ में

भाजपा के दो पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा और नंदकुमार सिंह चौहान भी विधानसभा चुनाव की टिकट की कतार में हैं। झा कांगेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहते हैं। वहीं चौहान की इच्छा भी अब प्रदेश की सियासत में हैं। पहले भी वे विधायक रह चुके हैं इसलिए उन्होंने भी विधानसभा टिकट में रुचि दिखाई है।

ऊंटवाल की नजर आगर पर

अजा के लिए आरक्षित देवास सीट से निर्वाचित सांसद मनोहर ऊंटवाल की दिलचस्पी भी राष्ट्रीय राजनीति में नहीं है। दोबारा विधायक बनकरवे प्रदेश में मंत्री बनना चाहते हैं। उनकी नजर आगर सीट पर है जहां से गोपाल परमार विधायक हैं। परमार कह चुके हैं कि ऊंटवाल उनका टिकट कटवाकर विस का टिकट चाहते हैं।

कुलस्ते लखनादौन के इच्छुक

सिवनी मंडला लोस क्षेत्र से भाजपा सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते प्रदेश के कद्दावर आदिवासी नेता हैं। अब केंद्र की राजनीति में रुचि नहीं रही। वे लखनादौन से विस का टिकट चाहते हैं। इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। पूर्व राज्यपाल स्व. उर्मिला सिंह के बेटे योगेंद्र सिंह 'बाबा" लखनादौन से विधायक हैं।

गोहद सीट पर प्रसाद की रुचि

भिंड सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद की नजर गोहद विधानसभा क्षेत्र पर है। इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व फिलहाल सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य कर रहे हैं। पार्टी नेताओं की मानें तो आर्य खुद लोकसभा में जाना चाहते हैं, इसलिए दोनों नेता आपसी सामन्जस्य से सीटों की अदलाबदली करना चाहते हैं।

बोधसिंह चाहते हैं वापसी

बालाघाट के सांसद बोधसिंह भगत फिर विधानसभा लौटना चाहते हैं। 2003 में भगत खैरलांजी विस क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। पार्टी ने 2014 में भगत को लोस का टिकट देकर सांसद बना दिया पर वे चाहते हैं कि कटंगी सीट से उन्हें विस का टिकट दिया जाए। कटंगी से फिलहाल वयोवृद्ध नेता केडी देशमुख विधायक है।

उदयप्रताप की दावेदारी सिवनी मालवा या होशंगाबाद से
कांग्रेस छोड़ भारतीय जनता पार्टी का दामन थामने वाले उदय प्रताप सिंह भी अब विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। उदय प्रताप सिंह वर्ष 2014 के पहले भाजपा में शामिल हुए थे। अब उनकी रुचि सिवनी मालवा या होशंगाबाद सीट पर है। सिवनी मालवा से फिलहाल सरताज सिंह विधायक हैं। पार्टी उनका टिकट काटती है तो सरताज सिंह इस प्रयास में हैं कि टिकट उन्हें मिल जाए। यदि पार्टी ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा को सिवनी मालवा भेजा तो उदय प्रताप सिंह होशंगाबाद सीट से विधानसभा चुनाव 2018 दावेदारी कर सकते हैं।

ज्ञानसिंह को दिल्ली नहीं भाई

शहडोल सांसद ज्ञानसिंह एक बार फिर प्रदेश की सियासत में लौटना चाहते हैं। वे शिवराज कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं। सांसद बनने के बाद भी मंत्रीपद नहीं छोड़ना चाहते थे। बांधवगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा ने उनके बेटे शिवनारायण सिंह टिकट देकर विधायक बनवा दिया।

पूर्व सांसद जटिया व मोघे भी कतार में

पूर्व सांसद सत्यनारायण जटिया और कृष्णमुरारी मोघे भी चाहते हैं कि पार्टी उन्हें 2018 के चुनाव में विधानसभा का टिकट दे। मोघे एक बार खरगोन लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। पार्टी के प्रदेश संगठन महामंत्री रहे हैं। जटिया भी उज्जैन लोकसभा से कई बार सांसद रहे हैं। केंद्र में मंत्री भी रहे।

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