भोपाल(ईन्यूज एमपी)- पदोन्नति नहीं होने से बढ़ी अधिकारियों-कर्मचारियों की नाराजगी को खुशी में तब्दील करने के लिए सरकार रास्ता निकालने में जुट गई है। केंद्र सरकार के मौजूदा कानून के हिसाब से पदोन्नति देने की सलाह के बाद मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसरों की देखरेख में खाका खींचा जा रहा है। इसके तहत सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की सलाह के हवाले से सशर्त पदोन्नति की अनुमति के लिए आवेदन जल्द ही दाखिल किया जाएगा। बताया जा रहा है कि सबकुछ योजना के मुताबिक हुआ तो अगस्त-सितंबर में बड़े पैमाने पर पदोन्नतियां हो सकती हैं। बीते दो साल में लगभग 36 हजार अधिकारी-कर्मचारी बिना पदोन्नति के सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इससे पैदा हो रही नाराजगी को भांपते हुए सरकार ने 31 मार्च 2018 से सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 कर दी। संवदेनशील मुद्दा होने से सबने इस मामले में चुप्पी साध रखी है। हालांकि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पदोन्नति के मामले का रास्ता निकाले जाने की कवायद की पुष्टि की है। ये बनेगा आधार सूत्रों का कहना है कि 24 जून को अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ (अजाक्स) भोपाल के दशहरा मैदान पर बड़ा कार्यक्रम करने जा रहा था। इसके दो-तीन दिन पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संघ पदाधिकारियों को बुलाया और एक माह में समस्याओं का समाधान करने का आश्वासन दिया, जिस पर आंदोलन स्थगित हो गया। माना जा रहा है कि इस आश्वासन का आधार सुप्रीम कोर्ट से सशर्त पदोन्नति की अनुमति मिलने की संभावना है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति नियम का मामला अटका हुआ है। इसको लेकर अभी कोई पीठ भी गठित नहीं हुई है। इसी बीच केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की दूसरी पीठ ने मौजूदा व्यवस्था से पदोन्नति देने की छूट दे दी। हालांकि, यह आदेश मध्यप्रदेश में लागू नहीं हो सकता है, क्योंकि उसका संदर्भ अलग है और प्रदेश के पदोन्नति नियम का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। यथास्थिति है बरकरार अधिकारियों का कहना है कि हाईकोर्ट ने भले ही 30 अप्रैल 2016 को मध्यप्रदेश पदोन्नति नियम 2002 को रद्द कर दिया हो पर सुप्रीम कोर्ट ने 12 मई 2016 को आगामी आदेश तक यथास्थिति बरकरार रखने के आदेश दिए हैं। इस आधार पर सशर्त पदोन्नति देने के लिए पहले भी आवेदन प्रस्तुत करने की तैयारी हो चुकी है पर तत्कालीन पीठ ने इसे नई गठित होने वाली पीठ के सामने प्रस्तुत करने कहा था। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री सचिवालय और सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी सुप्रीम कोर्ट की स्टैंडिंग काउंसिल के साथ संपर्क में हैं। अटार्नी जनरल ऑफ इंडिया से अभिमत लेकर सुप्रीम कोर्ट में आवेदन देने की रणनीति बनाई गई है। संभावना है कि इसी माह आवेदन देकर सशर्त पदोन्नति की अनुमति लेने की पुरजोर कोशिश की जाएगी। नाराजगी से जन्मा सपाक्स सूत्रों का कहना है कि पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था से जन्मा सामान्य पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संस्था (सपाक्स) भी सरकार के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इसके कार्यक्रमों में बढ़ती अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ समाज के लोगों की संख्या बताती है कि इस मुद्दे ने कितनी गहरी जड़ें जमा ली है। हालांकि, कानूनी लड़ाई का हल नहीं निकलने से बैचेनी भी बढ़ती जा रही है। ये कर्मचारी चुनाव में कितना नुकसान पहुंचाएंगे, इसको लेकर तस्वीर अभी साफ नहीं है पर अजाक्स वर्ग भी छिटक जाता है तो सत्ताधारी दल का चौथी बार सरकार बनाने का संकल्प जरूर प्रभावित हो सकता है।