इंदौर(ईन्यूज एमपी)-किसान आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस और प्रशासन गांवों में धारा-144 का सहारा ले रहे हैं। पुलिस की गाड़ियों से गांव-गांव घूमकर माइक पर अनाउंस किया जा रहा है कि लोग समूह बनाकर बात करते मिले तो एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी की जाएगी। तिल्लौर खुर्द, कम्पेल, पिपल्दा, सांवेर और देपालपुर क्षेत्र के गांवों में पुलिस किसानों पर मानसिक दबाव बना रही है कि वे आंदोलन में शरीक होकर अपनी उपज न रोकें। राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के संभागीय अध्यक्ष नेमीचंद विश्नोई ने बताया कि शांतिपूर्ण आंदोलन करने वाले किसानों के साथ भी ये प्रशासन की तानाशाही है। पुलिस गांवों में जाकर धमका रही है कि चार लोग भी सार्वजनिक रूप से चर्चा करते पाए गए तो उससे बुरा कोई नहीं होगा। तिल्लौर खुर्द में किसानों ने टेंट लगाकर अपने घर की सब्जियां और दूध शहर के लोगों को बेचने की कोशिश की तो प्रशासन ने परमिशन नहीं दी। पुलिस ने कहा कि जब तक एसडीएम से परमिशन नहीं मिलेगी, टेंट नहीं लगाने देंगे। राजनीतिक दलों में बांट रहे आंदोलन किसान संगठनों का कहना है कि विशुद्ध रूप से ये किसानों का आंदोलन है लेकिन भाजपा के कुछ लोग इसे कांग्रेस का आंदोलन बताकर इसे कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं। इसे लेकर किसान मजदूर महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि इस आंदोलन में कोई राजनीतिक पार्टी शामिल नहीं है। इसके बावजूद भाजपा से जुड़े कुछ किसान नेता इसे कांग्रेस का आंदोलन बताकर भ्रम फैला रहे हैं। वोट के लिए किसानों को दबाया जा रहा है। भारतीय किसान संघ आंदोलन से बाहर भारतीय किसान संघ आंदोलन से बाहर है, इसे लेकर भी किसान संगठनों ने तल्ख प्रतिक्रिया व्यक्त की है। किसान मजदूर महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि जो किसान संगठन सरकार के पक्ष में बोलता है, वह किसानों के लिए कैसे आंदोलन कर सकता है। इसे लेकर भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष आनंदसिंह ठाकुर ने बताया कि पिछले आंदोलन में हमारे कार्यकर्ता शामिल थे, लेकिन इस बार हमसे बैठकर चर्चा नहीं की गई। किसी भी आंदोलन को लेकर पहले से प्लानिंग होती है। किसानों की समस्याएं हम उठाते रहे हैं और आवश्यकता लगी तो अलग से उठाएंगे।