भोपाल ( ईन्यूज़ एमपी ) - इन दिनों कैबिनेट के फैसलों पर भी अफसरशाही भारी है। फैसला लेने के बाद कई मामलों में आदेश जारी करने में ही महीनों लग जाते हैं। कई अहम मसलों पर अफसर अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए मामले को कैबिनेट में भेज देते हैं। घटिया मूंग-उड़द की खरीदी और प्याज में हुए करोड़ों रुपए के नुकसान को ठिकाने लगाने का काम भी अफसरों ने खुद को जिम्मेदारी से बचाने कैबिनेट के जरिए ही कराया। अफसर अब छोटे-छोटे काम भी खुद करने के बजाय कैबिनेट में भेज रहे हैं। फैसला हुआ पर आदेश नहीं आयुष विभाग के अधीन आने वाले होम्योपैथी और आयुर्वेद फार्मासिस्ट का वेतन ऐलोपैथी फार्मासिस्ट से कम है। सरकार ने इस भेदभाव को दूर करने के लिए पिछले साल दिसंबर में आयोजित कैबिनेट में फैसला किया, लेकिन ढाई महीने बाद भी इसका आदेश जारी नहीं हुआ है। सीएम की पहल के बाद जारी किया आदेश मंत्रालय में सात तकनीकी कर्मचारी हैं, जो लिफ्ट संचालन सहित अन्य काम करते हैं। इन कर्मचारियों को द्वितीय समयमान वेतनमान नहीं मिल पा रहा था। कैबिनेट की 3 अगस्त 2017 की बैठक में इसका प्रस्ताव लाया गया और इन कर्मचारियों को समयमान वेतनमान देने का फैसला लिया गया। चार महीने बाद तक इसके आदेश नहीं हुए। 17 दिसंबर 2017 को मंत्रालय कर्मचारियों ने हड़ताल की, तब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बातचीत के लिए बुलवाया। प्रमुख सचिव की मौजूदगी में कर्मचारियों ने कैबिनेट के फैसले पर आदेश नहीं होने का वाकया सीएम को सुनाया। सीएम ने पीएस से पूछा, तब कहीं आदेश जारी हो पाया। संविदा शिक्षकों की भर्ती एक वर्ष पहले कैबिनेट ने फैसला किया था कि प्रदेश में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए 31 हजार से ज्यादा संविदा शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। वस्तुस्थिति ये है कि अब तक भर्ती परीक्षा ही नहीं हो पाई है। एक सत्र बीत चुका है। नए सत्र से पहले भी भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के आसार नहीं हैं। पोषण आहार सप्लाई पर मौन कैबिनेट ने 2013 में ठेकेदारों की कंपनियों के द्वारा पोषण आहार सप्लाई के लिए पांच साल की समयसीमा निर्धारित की थी। 31 मार्च 2017 को समयसीमा खत्म हो गई। सरकार ने समयसीमा खत्म होने के बाद भी कोई नई व्यवस्था नहीं की। अफसरों ने तर्क दिया कि मामला कोर्ट में है, जबकि हकीकत ये थी कि पोषण आहार खरीद का एग्रीमेंट ही 31 मार्च को खत्म हो गया था। इसके बाद सारे अदालती आदेश भी निष्प्रभ्ाावी हो गए थे पर अफसरों की मेहरबानी से अब भी पोषण आहार सप्लाई की व्यवस्था पूर्ववत जारी है। समीक्षा करेंगे कैबिनेट के फैसलों पर अमल का प्रेजेंटेशन मुख्य सचिव देते हैं। वैसे अब तक कैबिनेट ने जितने भी फैसले लिए, उनमें से 95 फीसदी मामलों में आदेश जारी हो चुके हैं। यदि कुछ बिंदु बचे हैं, छूट गए हैं तो उसकी समीक्षा करेंगे।