भोपाल ( ईन्यूज़ एमपी ) - भाजपा सरकार के तीसरे कार्यकाल के अंतिम बजट से यह तय हो गया है कि अब इस सरकार की विदाई तय है। जनता बार-बार यह सुनकर अब आक्रोशित हो गयी है कि यह सरकार अपने पाप और असफलताओं को छिपाने के लिए कब तक 2003 का सहारा लेगी। प्रदेश की जनता मूर्ख नहीं है, वह समझ चुकी है कि यह सरकार 14 साल बाद भी प्रदेश के नागरिकों को सुराज नहीं दे पाई है। वित्त मंत्री के भाषण सुनने के दौरान जिन चीजों का आभास हो रहा था उससे यह लग रहा था कि वित्तमंत्री को मालूम है कि वे झूठ बोल रहे हैं। बजट भाषण से कहीं ऐसा नहीं लग रहा था कि 14 साल की सरकार का यह बजट है बल्कि जो बातें वित्त मंत्री जी कह रहे थे उससे यह लग रहा था कि पहले साल का यह पहला बजट है। मुख्यमंत्री को बड़ा गर्व है कि उनकी सरकार ने 2 लाख करोड़ का बजट प्रस्तुत किया, तो उन्हें इस बात का भी गर्व होगा कि प्रदेश पर डेढ़ लाख करोड़ से अधिक का कर्ज भी है। विभागों के बजट बढ़ाने का वित्त मंत्री बड़े दमखम से बखान कर रहे थे लेकिन विकास बजट बढ़ने से नहीं उसके सदुपयोग से होता है। जनजातीय विभाग का बजट जो सबसे जरूरी बजट होता है। यह सरकार पिछले साल इस बजट का 2 हजार करोड़ भी खर्च नहीं कर पाई। बजट बढ़ रहा है, कर्ज बढ़ रहा है लेकिन आज भी प्रदेश में विकास के लोगों की भलाई करने के दावे झूठे साबित हुए हैं। वास्तव में देखा जाए तो बजट का विकास में नहीं भ्रष्टाचार में ज्यादा उपयोग हुआ है। वर्ष 2016-17 का राजकोषीय घाटा 4.32 रहा है। वर्ष 2017-18 का राजकोषीय घाटा 3.49 रहा है, जो कि सरकार द्वारा बताएं गए अनुमानों से अधिक रहा है। इस वर्ष राजकोषीय घाटे का जो अनुमान लगाया है 3.24 वह भी झूठा ही साबित होगा। यह इस बात का प्रमाण है कि आपका वित्तीय अनुशासन पर नियंत्रण नहीं है और लगातार कर्ज लेने पर आपका भरोसा बढ़ रहा है। पिछले साल 1 लाख 37 हजार 810 करोड़ का इस साल बढ़कर लगभग डेढ़ लाख करोड़ के पास पहुंच गया। अन्य कर्जों को जोड़ दिया जाए तो आपने इस प्रदेश को लगभग 1 लाख 85 हजार करोड़ के कर्ज में डुबो दिया। 14 साल बाद भी कृषि आधारित व्यवस्था प्रदेश में है। कृषि उत्पादन बढ़ गया आपका, 5 कृषिकर्मण अवार्ड भी ले लिये, कृषि विकास दर भी बढ़ गई, लेकिन न किसानों की आय को आप दुगुना कर पाए और न ही संकट का सामना करने के लिए कोई रणनीति बना पाए। किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य तो छोड़िएं आपने समर्थन मूल्य पर उसकी फसल बेचने का अधिकार भावांतर योजना का भंवर जाल बनाकर छीन लिया। भावांतर योजना, भाजपा सरकार के नेताओं, अफसरों और व्यापारियों का एक ऐसा गठजोड़ है जो मिलकर किसानों को लूटने का काम कर रहा है। 14 साल में आप कृषि पर बोझ कम करने के लिए राजस्व के नए स्रोत्र भी पैदा नहीं कर सके। यही कारण है कि रोजगार के अवसर भी नहीं बढ़ रहे हैं। बेरोजगारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। आपने बजट में युवाओं को फिर सपने दिखाएं हैं कि इस वर्ष आप साढे़ सात लाख युवाओं को रोजगार देंगे। आपके आर्थिक सर्वेक्षण पिछले वर्ष एवं इस वर्ष का बताता है कि 11 लाख से अधिक दर्ज शिक्षित बेरोजगारों में से आपने सिर्फ 400 लोगों को रोजगार दिया। आप समाज के कमजोर वर्गों के विकास की बात करते हैं। लेकिन असलियत यह है कि स्वास्थ्य, शिक्षा, कुपोषण में उनकी स्थिति बदतर है, यह भी आप ही बता रहे हो। इस प्रमाण है कि सहरिया जनजाति का एक हजार रूपए प्रतिमाह देने का फैसला किया वह भी इसलिए कि कोलारस-मुंगावली के चुनाव सामने थे। कर्मचारियों को आपने वर्ष 2003 में गुमराह करके वायदा किया था कि वृत्तिकर समाप्त करेंगे, आय की सीमा बढ़ाएंगे, 14 साल बाद आपने जो राहत दी है, उससे साढ़े सात लाख में से कुछ ही कर्मचारियों को लाभ मिलेगा। यह आपकी धोखा देने की नीति है। वित्तमंत्री 14 वें साल में अपने बजट भाषण में कहते हैं कि 23 लाख परिवारों के घरों में सौभाग्य योजना के तहत बिजली पहुंचाएंगे। अब मुझे यह समझ में नहीं आ रहा है कि यह शर्म की बात है या फिर गर्व की बात है। आपकी जीडीपी 14 से घटकर 7 प्रतिशत हो गई है। प्रशासनिक क्षेत्र में रोजगार कम हो गया है। महिलाओं की स्थिति बदतर है। आपका मानव सूचकांक में गिरावट आई है। शिशु और मातृमृत्यु दर में नंबर वन पर हैं, अध्यापक, अतिथि शिक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, पंचायत कर्मी और आशा, एएनएम कार्यकर्ता अपना सिर मुडवा रहे हैं और खून के दिए जला रहे हैं और कह रहे हैं कि हमारी भूल कमल का फूल, शपथ ले रहे हैं कि अबकी बार नहीं भाजपा। इसके बाद भी अगर आपको लगता है कि यह बजट प्रदेश के विकास का है, लोगों के हितों का है, तो आपको मुबारक हो ऐसा बजट।