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कलेक्टर की अनुमति से बढ़ेगी निजी स्कूलों की फीस...

भोपाल(ईन्यूज एमपी)- राज्य सरकार ने 'मप्र निजी विद्यालय फीस विधेयक-2017" लागू कर दिया है। अब प्रदेश में निजी स्कूल अधिकतम 10 फीसदी ही फीस बढ़ा सकेंगे। यदि इससे ज्यादा फीस बढ़ानी है तो कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी से मंजूरी लेनी होगी।

जबकि 15 फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ाने की मंजूरी आयुक्त लोक शिक्षण की कमेटी देगी। आवासीय और धार्मिक शिक्षा देने वाली संस्थाओं को छोड़कर इस कानून के दायरे में प्रदेश के सभी स्कूल रहेंगे।

निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण के लिए बना कानून वर्तमान शैक्षणिक सत्र से लागू हो गया है। प्रदेश के अभिभावक वर्ष 2008 से इस कानून की मांग कर रहे थे। अब निजी स्कूल विभिन्न् मदों के नाम पर अधिक फीस नहीं वसूल सकेंगे और न ही फीस में 10 फीसदी से ज्यादा वृद्धि कर सकेंगे।

यदि ऐसा किया तो छात्र या अभिभावक जिला और राज्य स्तरीय कमेटी में शिकायत कर सकेंगे। जांच में नियम से अधिक फीस वसूलने की पुष्टि होने पर जिला स्तरीय कमेटी संबंधित स्कूल को अतिरिक्त राशि वापस करने के आदेश दे सकती है। साथ ही दो लाख रुपए तक जुर्माना भी लगा सकेगी।

इतना ही नहीं, शिकायत दूसरी बार की जाती है तो जुर्माना राशि चार लाख और तीसरी बार होने पर स्कूल को छह लाख जुर्माना देना होगा। इसके अलावा समिति स्कूल की मान्यता निलंबित या निरस्त करने की अनुशंसा कर सकती है।

' नईदुनिया ' ने चलाई थी मुहिम

निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण को लेकर बनाए गए कानून के लिए 'नईदुनिया" ने लंबी लड़ाई लड़ी है। करीब दो साल चली इस मुहिम में शिक्षाविद्, पालक और स्कूल संचालकों से परस्पर बात कर इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश की गई। इस मुहिम में अभिभावक भी शामिल हुए। वहीं कानून को लेकर सरकार की तैयारियों पर भी नजर रखी गई।

एडमिशन कर चुके स्कूलों पर नहीं पड़ेगा फर्क

सरकार ने फीस कानून 22 फरवरी से लागू किया है। इससे पहले एडमिशन करने और फीस तय करने वाले स्कूलों पर अगले शैक्षणिक सत्र में भी इस कानून का असर नहीं पड़ेगा। यदि फीस 22 फरवरी के बाद तय की जाती है या बढ़ाई जाती है तो ऐसे स्कूलों के खिलाफ अभिभावक समिति को शिकायत कर सकते हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में अक्टूबर से ही निजी स्कूल एडमिशन शुरू कर देते हैं और कानून लागू होने की आशंका के चलते कई स्कूल अपनी फीस पहले ही बढ़ा चुके हैं।

कब-क्या हुआ

- मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2008 से 2010 तक निजी स्कूलों की फीस नियंत्रित करने कानून बनाने की घोषणा चार बार की।

- 2012 में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शन मंच ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 'फीस रेगुलेटरी कमेटी" बनाने की मांग की।

- 4 जनवरी 2013 को हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को नोटिस जारी कर सरकार का पक्ष पूछा। विभाग ने कहा कि हम नियम बना रहे हैं।

- 12 अप्रैल 2014 की सुनवाई में सरकार ने नियम बनाने में समय लगना बताया। कोर्ट ने तीन माह दिए।

- नियम कोर्ट में पेश न होने पर मंच ने जुलाई 2014 में अवमानना याचिका लगाई। विभाग के प्रमुख सचिव को फिर से नोटिस जारी।

- 2015 में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में विभाग के राज्यमंत्री दीपक जोशी ने कमेटी गठित करने की घोषणा की।

- विभाग ने 30 अप्रैल 2015 को फीस नियंत्रण की गाइडलाइन जारी कर दी।

- गाइडलाइन के खिलाफ हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच में याचिका दायर हुई। मई 2015 में सुनवाई कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

- 13 नवंबर 2015 को मार्गदर्शक मंच ने जबलपुर हाईकोर्ट में रिट पिटीशन फाइल कर फीस कमेटी और कानून बनवाने की मांग की।

- दिसंबर 2015 में सरकार ने कानून बनाने तीन माह मांगे। मार्च 2016 में समय समाप्त होने के बाद सरकार ने हाई पावर कमेटी गठित की और फिर समय मांग लिया।

- वर्ष 2016 में विधानसभा के मानसून सत्र में स्कूल शिक्षा मंत्री ने शीतकालीन सत्र में कानून लाने का कहा था।

- वर्ष 2016 में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में फिर से 2017 के बजट सत्र में कानून का मसौदा रखने की घोषणा की गई।

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