सतना (ईन्यूज एमपी)-बकिया बराज डैम की 02 मीटर ऊंचाई घटाने के बाद डूब क्षेत्र से बची 44 गांव की जमीन किसानों को वापस करने हेतु 2007 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने मंच से घोषणा की थी, कैबिनेट मंत्री मंडल ने भी प्रस्ताव पास कर दिया था, लेकिन आज तक किसानों को भूमि वापस नहीं मिल सकी है, आंदोलन प्रदर्शन हुआ लेकिन नतीजा सिफर ही रहा, अब किसान आरपार की लड़ाई लड़ने को मजबूर हैं, आज सभी सियासी दलों के प्रतिनिधियों की अगुआई में प्रभावित 44 गांव के किसानो ने सतना कलेक्ट्रेट में धरना दिया और मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम को ज्ञापन सौंपा । रोड नहीं, नाली नहीं, स्कूल नहीं, सरकार की कोई भी योजना नहीं और सरकारी विकास यहां के बाशिंदों का हसीन सपना बन के रह गया है, किसी भी इलाके में डैम बनना खुशहाली का संकेत होते हैं लेकिन बकिया बराज डैम बनने से 44 गांवों के निवासी गुमनामी जिंदगी जीने को मजबूर है, भारत का हिस्सा होते हुए भी निराश्रितों की जिंदगी जी रहे हैं, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन और राजस्व रिकॉर्ड में यह इलाका कटा हुआ है, दरअसल बकिया बराज की ऊंचाई 282.5 निर्धारित के हिसाब से सरकार ने जमीन अधिग्रहण किया था, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने डैम ऊंचाई 02 मीटर कम कर दी थी, जिससे 44 गांव की जमीन डूब क्षेत्र से मुक्त हो गई थी, डूब से मुक्त जमीन वापस पाने किसान हमेशा सरकार से गुहार लगाते रहे है, मुख्यमंत्री शिवराज ने मुक्त जमीन किसानों को वापस करने का ऐलान भी किया था, प्रदेश के कैबिनेट ने पास भी कर दिया था, लेकिन सरकारी प्रक्रिया में उलझकर आज तक उनकी जमीन वापस नहीं मिल सकी है, अब यहां के किसान सरकार से आर-पार की लड़ाई के मूड में दिख रहे हैं, प्रभावित किसान सर्वदलीय जनप्रतिनिधियों की अगुवाई में आज सतना कलेक्ट्रेट में धरना दिया और मुख्यमंत्री के नाम सतना एसडीएम को अपनी मांगों का ज्ञापन सौंपा, प्रदर्शनकारी किसानों ने सरकार को 10 दिन का अल्टीमेटम दिया है, वरना इलाके के लोग अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन करने को मजबूर होंगे ।