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महिलाओ के लिए मिशाल बनी, सतना की शांति

सतना नारेन्द कुशवाहा(ईन्यूज एमपी)-कहते है मन में हौसला और खुद पर भरोसा हो तो इंसान सबकुछ हार कर भी जीत सकता है,, कुछ ऐसे ही हौसलों और आत्म विस्वास से भरी सतना जिले के मैहर में रहने वाली शांति मौर्य है,, जिन्होंने वो कर दिखाया है की यदि जिला ही नहीं पुरे प्रदेश भर की महिलाओं के लिए उन्हें प्रेरणा श्रोत कहे तो सायद यह बात गलत नहीं होगी,, घर में एकलौते कमाने वाले पती की सड़क हादसे में मौत के बाद मनो शांति के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा,, कमाई का कोई जरिया नहीं तो घर की हालत बत से बखतर होगयी,, लेकिन नसिर्फ खुद को और अपने घर को संभाला बल्कि एक साल के अंदर वो कर दिया,, जिससे लोग ही नहीं प्रसासनिक अधिकारी भी उनकी मिसालें दे रहे,, जिले के अधिकारी उनसे प्रेरित है,, अब शांति मौर्य को आगे कर महिला ससक्ति करण को बढ़ावा देने की होड़ में जुट गए है !


शांति मौर्य ये कोई बड़ा नामी गिनामी नाम नहीं,, बल्कि एक उस महिला का नाम है,, जो बेहद कम पड़ी लिखी है और दुनिया की भीड़ में एक गुमनाम चेहरा है,, लेकिन आज इसके हौसलों को देखें तो ये चेहरा बेहद खास नजर आता है,, शांति औरत होते हुए भी आदमियों को पीछे छोड़ उनसे कही आगे निकल गयी है,, शांति सतना में मैहर में रहती है,, उनके पति एक छोटे से तालाब के ठेकेदार थे,, जहाँ उनका मछली का कारोबार चलता था,, अक्टूबर 2016 में एक सड़क हादसे में शांति के पती की मौत हो गयी,, घर में कमाने वाले वो एक ही थे,, शांति का एक बेटा भी है जो अलाहाबाद में ग्रेजुएशन कर रहा था,, मौत के बाद घर में आर्थिक तंगी आगयी मछलियों का व्यवसाय बंद हो गया,, एक एक पैसे को मोहताज हो चुकी शांति ने अपना हौसला नहीं खोया और बंद हो चुके मछली के धंधे को दोबारा चलाने की ठानी,, तालाब में बीज डाले और खुद अपने हांथो से जाल बुनने लगी,, मेहनत रंग लायी मछलियों का धंधा दोबारा चलने लगा,, लेकिन शांति अभी रुकी नहीं,, तालाब में एक नर्शरी बना कर विभिन्य प्रजाति की रंगीन मछलियों का उत्पादन किया,, और फिर एक छोटी से अक्युरियम की दुकान खोल कर रंग बिरंगी मछलिया बेंचने लगी,, शांति को इन दोनों धंधो से जो भी आमदनी हुयी उससे 800 मुर्गियों का एक पोट्रीफाम खोला,, अब यही नहीं पोट्रीफाम से निकलने वाली खाद का प्रयोग वो अपने पुस्तैनी खेत में करने लगी,, जहाँ वो भारी मात्रा में सब्जियां उगाने का काम भी करने लगी,, शांति आज की तारीख में एक नहीं चार चार धंधो को अकेले सम्हाल रही,, शांति सिर्फ काम को ही नहीं सम्हाला इसके साथ साथ उन्होंने अपने घर को भी बखूबी संभाला है,, अपने एकलौते बेटे की पढाई बंद नहीं होने दी,, और आज उनका बेटा पढ़ाई पूरी कर घर में माँ के साथ ही रहता है,, अपनी माँ को अपना आइडल मानते हुए उनके काम धंधों को सँभालने में सहयोग करता है!


शान्ति के हौसलों और उनकी मेहनत को जो भी देखता है वो दांग रह जाता है,, और होगा भी क्यों नहीं महिला ससक्ति कारन के लिए शांति मौर्य जैसी महिलाओं के उदहरण से बड़ा उदाहरण भला क्या हो सकता है,, यही वजह है की जिले के अधिकारी भी उनकी मेहनत को देख कर हैरान है,, जिले के अधिकारी उन्हें प्रेरणा मानते है,, उनसे प्रेरित होकर महिला ससक्ति करण के लिए बड़े स्तर पर काम सुरु कर दिया है,, जिले के रैगांव विधानसभा में एक भिरशा मुंडा सुसयटी का गठन कर मत्ष विभाग कई महिलाओं को मछली पालन के काम से जोड़ने का कार्य कर रहे है,, शांति मौर्य को मॉडल के रूप में सामने लाकर मत्ष विभाग महिलाओं को इस काम के लिए प्रेरित कर रहा,, जिसका परिणाम सामने आने लगा है,, महिलाये अब घरों से निकल कर आगे आने लगी है,, इस सोसयटी के माध्यम से अबतक 21 महिलाए मछली पालन से जुडी है,, जिन्होंने चैत्र के तालाब के पट्टे भी लेलिए है,, अब विभाग शांति को ऐसी महिलाओं के सामने लेजाकर उन्हें प्रेरित करने का काम करने की तैयारी कर रहा !


सरकारमहिला ससक्ति करण को बढ़ावा देने की बात करती है,, यदि सरकार ऐसी शांति मौर्य जैसी महिलाओं को आगे रख कर काम करे तो सायद प्रदेश ही नहीं देस भर की महिलाये प्रेरित होकर आगे आने लगेंगी,, शांति मौर्य को देख कर लगता है की हिम्मत और हौसला अगर हो तो क्या कुछ नहीं किया जा सकता जरूरत है तो सिर्फ एक संकल्प और कभी ना हार मानने वाले जजबे की !

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