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सुविधाओं के अभाव में भी प्रभावशाली शैक्षणिक स्तर

सन्दीप अग्रवाल(ईन्यूज एमपी)हरदा-टिमरनी विकासखण्ड के वनांचल क्षेत्र में पिछले पांच माह पूर्व बने करोड़ों रुपए के दो नवीन हाई स्कूल भवनों का लोकार्पण अभी तक नहीं हो पाया है परंतु वहां कक्षाएं लगना प्रारंभ हो चुकी है। वन क्षेत्र के ग्राम चंद्रखाल व सेंटर पॉइंट कायदा में सितंबर 2017 में जी प्लस टू डिजाइन मंजिलों के रूप में लोक निर्माण विभाग के माध्यम से बनाए गए इन भवनों में बाउंड्री वाल, खेल मैदान नहीं है और ना ही स्थाई शिक्षकों की व्यवस्था है। यहां 4 अतिथि शिक्षक कक्षा 9वी में 136 व दसवीं के 116 विद्यार्थीयों को पढ़ा रहे हैं। कक्षा 9 वीं की वार्षिक परीक्षाएं चल रही है जिसके पेपर माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से ही आ रहे हैं परंतु यह पेपर कायदा से लगभग 50 किलोमीटर दूर थाना रहटगांव में रहते हैं जिन्हें परीक्षा के दिन सुबह जल्दी लेकर आने में शिक्षकों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार कक्षा 10 वीं के विद्यार्थियों के लिए भी बार्षिक परीक्षा का सेंटर यहां से लगभग 25 किलोमीटर दूर हाईस्कूल बोरी को बनाया गया है। कायदा हाई स्कूल पढ़ने वाले विद्यार्थियों अलग-अलग ग्राम रातामाटी बिटिया, डेहरिया, रवांग आदि स्थानों से यहां आना पड़ता हैं इन ग्रामों से बोरी ग्राम की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है जिससे विद्यार्थियों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। एक और जहां सरकार करोड़ों रुपए खर्च कर स्कूलों के नए भवन बनवा रही वहीं कुछ ही दूरी पर ग्राम चंद्रखाल से मात्र 6 किलोमीटर के अंतराल पर ग्राम रातामाटी में प्राथमिक स्कूल चौपाल पर बनी झोपड़ी में संचालित हो रहा है यहां एक महिला शिक्षक बच्चों को व्यवस्थित अध्ययन करा रही है। यहां पर शौचालय की व्यवस्था भी नहीं है कक्षा 1 से 4 तक मात्र 11 बच्चे दर्ज हैं जिन्हें एक कतार में बैठाकर अनार आम पहाड़ों से लेकर जोड़ घटाना और पाठ पढ़ाने की जिम्मेदारी के साथ शासकीय कार्य का पालन भी शिक्षिका श्रीमती मेघा राकेश पिछले 4 वर्षों से बखूबी निभा रही हैं।

अप डाउन करने से शैक्षणिक स्तर पर कोई प्रभाव नहीं

वनांचल क्षेत्र के कई स्कूलों में पदस्थ शिक्षक शिक्षिकाओं द्वारा अप डाउन किया जा रहा है। जिसकी वजह जानने पर जानकारी मिली कि वहां पर रूकने की कोई व्यवस्था नहीं है। वहां किराये का कमरा भी उपलब्ध नहीं हो पाता और ना ही स्कूलों में कोई आवास भवन हैं। यदि स्कूल के कक्ष में रूकते हैं तो बिजली नहीं है और कुछ स्कूल गांव से दूर बने हैं जहां महिला शिक्षकों को रूकने में दिक्कतें आती हैं। असुविधा होने पर भी इन स्कूलों के बच्चों का शैक्षणिक स्तर ठीक ठाक बनाए रखा है।

प्रबंध देखने लायक है

ग्राम बड़वानी के प्राथमिक स्कूल में बच्चों के लिए बैंच की व्यवस्था वहां के शिक्षकों, वन विभाग के बीड गार्ड द्वारा की गई है। यहां की पढ़ाई का स्तर व स्कूल का प्रबंधन भी काबिले तारीफ है।

सिस्टम में हो बदलाव

शासन के आदेशानुसार सभी शासकीय स्कूलों में ध्वजा रोहण किया जा रहा है। परंतु मौसम की मार से कहीं कहीं तिरंगा झंडा का रंग व आकार बदल जाता है। देश प्रेमीओं का कहना है कि राष्ट्रध्वज को प्रतिदिन फहराने से वह अपना रंग बदल लेता है जिससे हमें ठेस लगती है। इसलिये सिस्टम में बदलाव होना चाहिए।

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