सन्दीप अग्रवाल(ईन्यूज एमपी)हरदा--हरदा पोषण पुनर्वास केंद्र में 14 दिन की परिचर्या के पश्चात अपनी बच्ची कंचन को कुपोषण मुक्त देख भागवंती खिल उठी।पिछले साल भागवंती जैसी 520 माताओं ने इन केन्द्रों में अपने बच्चो को कब,क्या और कैसे खिलाए सीख ऐसी मुस्कान पाई है। ऐसा नहीं है कि रामटेक रैयत की भागवंती के घर किसी तरह के खाने पीने की कमी रही लेकिन क्या,कैसे,कब खिलाना है इस जानकारी का आभाव कंचन को दिनों दिन कमजोर करता गया और वह कुपोषित बच्चों की श्रेणी में जा पहुंची। चॉकलेट, बिस्किट, चिप्स से पेट तो भरा जा सकता है लेकिन शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं पाए जा सकते हैं। सीएमएचओ डॉ आरके धूर्वे कहते हैं कि घर में पर्याप्त खाद्य सामग्री की उपलब्धता से कुपोषण नहीं होगा इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती।अधिकतर लोग यह समझते हैं कि जिन लोगों को पौष्टिक भोजन नही मिलता केवल वो ही कुपोषित होते हैं। किंतु ऐसा नही हैउन लोगों को भी हो सकता है जिनको पौष्टिक भोजन तो मिलता है। लेकिन उनकी आहार शैली सही नही होती है। आजकल बहुतायत में सेवन किये जाने वाले जंक-फूड़, फास्ट-फूड़ और इसी तरह के अन्य अटरम-शटरम पदार्थ खानें पर सिर्फ पेट को ही भरते हैं। किंतु पोषण के नाम पर ये शून्य होते हैं । जिस कारण से इनको खाने वाला धीरे-धीरे कुपोषित बनता जाताहै।कंचन के केवल चौदह दिन के सही खानपान ने वजन में पौन किलोग्राम की बढ़ोत्री की।भागवन्ती ने पोषण पुनर्वास केन्द्र में न केवल अपनी बच्ची के लिए कुपोषण से मुक्ति पाई वरन भविष्य में कंचन को क्या और किस तरह का खाना खिलाना है का प्रशिक्षण भी पाया।