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Home मध्य प्रदेश पोस्ट आफिस घोटाले में आरोपीयो की संपति अधिग्रहण की जाए, किसने लिखा कलेक्टर को पत्र..........

पोस्ट आफिस घोटाले में आरोपीयो की संपति अधिग्रहण की जाए, किसने लिखा कलेक्टर को पत्र..........

बबलू वैरागी(ईन्यूज़ एमपी)झाबुआ/पेटलावाद - 4 वर्ष पूर्व हुए पोस्ट ऑफिस घोटाला एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। जहां एक ओर अब खुद विभाग ने एक आदेश जारी कर यह मान लिया है विभाग के ही तीन कर्मचारियो की इस घोटाले में संदिग्ध भूमिका रही है और अब इन तीनो कर्मचारियो की संपत्ति अधिगृहित की जाए ताकि जनता को हुई हानि की वसूली इनकी संपत्ति से की जा सके। वहीं दूसरी ओर बड़ा सवाल यह है कि गरीब लोगो की अपनी खून-पसीने और मेहनत से जीवनभर की कमाई गई पूंजी को खाने वाले को पोस्ट आफिस एजेंट मौन्नत दंपत्ति को अभी तक पुलिस पकडने में क्यो नाकामयाब रही है? अभी तक घोटाले के मुख्य आरोपी मौन्नत दंपत्ति 4 वर्ष बाद भी पुलिस गिरफ्त से दूर है। यहीं नही एक ओर पीडि़त न्यायालय में वाद लगाकर अपनी मेहनत की पूंजी को वापस लेने लिए लड़ रहे है और दूसरी और इन साजिशकर्तायो के फरार रहने से फरारी का फायदा उठाकर जो चाहा वह कार्य करा रहे है। जिसके कारण पीडि़तो की जीवनभर की पूंजी वापस आने की राह नही दिख रही है।
दरअसल, पिछले 4 वर्ष पूर्व यानि 7 जुलाई 2014 को मप्र केे झाबुआ जिले के पेटलावद में पोस्ट आफिस में काफी समय से तत्कालीन पोस्ट आफिस ऐजेंट व अधिकारी-कर्मचारियों की सांठ-गांठ के चलते खाताधारको के खातो से करोड़ो की हेरा-फेरी सामने आने पर हडक़ंप मच गया था। पीडि़तो ने पेटलावद पुलिस, रतलाम डाक मुख्यालय, जनसुनवाई सहित वरिष्ठ अधिकारियों को संपूर्ण विवरण सहित शिकायते भी दर्ज कराई थी। लगभग 44 शिकायतकर्ताओ के कथन अंकित कर आरोपियो के खिलाफ एफाआईआर भी दर्ज की गई। इसी के साथ सिविल न्यायालय में पीढि़तो ने अलग-अलग वाद भी लगाए। इसके बाद भारतीय डाक विभाग के पोस्टमास्टर जनरल इंदौर क्षैत्र के सहायक निदेशक ने प्रकरण की जांच के लिए डाकघर रतलाम संभाग के अधीक्षक को प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया था। इसके बाद से ही वे जांच कर रहे थे।
जांच अधिकारी ने माना तीनो कर्मचारियो को दोषी:
पिछले दिनो पोस्ट ऑफिस घोटाले में जांच अधिकारी डाकघर रतलाम के अधिक्षक ने कलेक्टर को एक पत्र के माध्यम से बताया कि रतलाम संभाग के पेटलावद उपडाकघर में राज्य शासकीय की ओर से अधिकृत एजेंट श्रीमती आशादेवी मौन्न व उसके पुत्र संदीप मौन्नत ने जनता की राशि हड़पकर उनके साथ धोकाधड़ी की थी उसमें उपडाकघर के तीन कर्मचारी तत्कालीन अनुडाकपाल मंगलसिंह पिता पीदिया निनामा, तत्कालीन डाक सहायक बीएस बारिया व जितेंद्र वर्मा की संदिग्ध भूमिका रही है। इस पूरे घोटाले में वह भी दोषी है। जनता को जो हानि हुई है उसकी भरपाई के लिए तीनो कर्मचारियो की संपत्ति अधिगृहिक की जाए और पीडि़तो में बांटी जाए।
नामांतरण प्रक्रिया पर लगाए रोक:
वहीं डाकघर अधिक्षक ने नगर परिषद सीएमओ को पत्र के माध्यम से बताया कि आशदेवी मौन्नत व श्रैणिकलाल मौन्नत के नाम से संपत्तिकर रजिस्टर वर्ष 2017-18 में वार्ड क्रमांक 5 में स्थित भवन क्रमांक 108 व प्रष्ठ क्रमांक 194 पर जो संपत्ति दर्ज है। उस पर विक्रय, हंतांतरण/नामांतरण से लेकर अन्य कार्यवाहीयो पर तुंरत रोक लगाई जाए और अधिगृहिक कने संबंधि निर्णय प्रसारित किए जाए। ताकि जनता को हुई हानि की वसूली इस संपत्ति से की जा सके।
कलेक्टर ने भी जल्द से जल्द मांगी संपित्तयो की जानकारी:
रतलाम डाकघर अधिक्षक के पत्र के बाद कलेक्टर अशीष सक्सेना ने भी तहसीलदार को आदेश जारी करते हुए इन तीनो कर्मचारियो की संपत्तियो की जानकारी मांगी है। आदेश में कलेक्टर ने मौन्नत दंपत्ति के नाम से भी चल-अचल संपत्ति का विवरण मांगा है।
जो संपत्ति हुई निलाम उसकी बची शेष राशि जमा कलेक्टर के खाते में:
वहीं पिछले दिनो नर्मदा-झाबुआ ग्रामीण बैंक द्वारा लोन की राशि वसूलने के लिए मौन्नत दंपत्ति के मकान की निलामी की गई थी। इसके बाद बैंक और मौन्नत दंपत्तियो के बीच सांठगांठ की चर्चा बहुत चली, कि बैंक से सांठगांठ कर मौन्नत दंपत्ति निलामी में लोन में जमा हुई राशि के बाद बची शेष राशि हड़पना चाहते है, लेकिन पेटलावद एसडीएम आईएएस हर्षल पंचोली ने शाखा प्रबंधक को निर्देश जारी किए है कि निलामी में बैंक लोन जमा करने के बाद बची शेष राशि मौन्नत दंपत्ति हड़पना चाहते है, लेकिन बैंक इस राशि को जिला कलेक्टर के खाते में जमा कराए। ताकि इस राशि को पीडि़तो को प्रदान की जाए।
खुले रूप से घुम रहे आरोपी, लेकिन पुलिस नही पकड़ रही:
पीडि़तो ने खुले रूप से घूम रहे आरोपियों को पकडऩे की भी मांग की गई है। पीडि़तों का कहना है कि यदि ये लोग बैंक से सतत संपर्क में रह सकते है तो पुलिस आरोपियों को पकड़ क्यों नहीं पा रही है। पीडि़तों ने आंदोलन का रुख अपनाने की बात भी कही है। उनका कहना है कि हम अपनी आवाज बुलंद करने के लिए कई प्रकार के आयोजन करेंगे। साथ ही उन्होने यह भी आरोप लगाया कि मुख्य आरोपी आशादेवी अपने भाई प्रमोद बोराना के यहां रतलाम में है, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। वह बार-बार हाईकोर्ट में जमानत की अर्जी लगा रही है। क्या पुलिस जमानत मिलने का इंतजार कर रही है।

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